पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः

 


फादर्स डे पिताओं के सम्मान में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला पर्व हैं जिसमे पितृत्व, पितृत्व-बंधन तथा समाज में पिताओं के प्रभाव को समारोह पूर्वक मनाया जाता है। अनेक देशों में इसे जून के तीसरे रविवार, तथा बाकी देशों में अन्य दिन मनाया जाता है।

*मेरा अभिमान पिता*

*मेरा साहस मेरी इज्जत मेरा सम्मान है पिता।*

*मेरी ताकत मेरी पूँजी मेरी पहचान है पिता।*

*घर की इक-इक ईट में शामिल उनका खून पसीना।*

*सारे घर की रौनक उनसे सारे घर की शान पिता।*

*मेरी शोहरत मेरा रूतबा मेरा है मान पिता।*

*मुझको हिम्मत देने वाले मेरा हैं अभिमान पिता।*

*सारे रिश्ते उनके दम से सारे नाते उनसे हैं।*

फादर्स डे की शुरुआत बीसवीं सदी के प्रारंभ में पिताधर्म तथा पुरुषों द्वारा परवरिश का सम्मान करने के लिये मातृ-दिवस के पूरक उत्सव के रूप में हुई. यह हमारे पूर्वजों की स्मृति और उनके सम्मान में भी मनाया जाता है। फादर्स डे को विश्व में विभिन तारीखों पर मनाते है - जिसमें उपहार देना, पिता के लिये विशेष भोज एवं पारिवारिक गतिविधियाँ शामिल हैं। आम धारणा के विपरीत, वास्तव में फादर्स डे सबसे पहले पश्चिम वर्जीनिया के फेयरमोंट में 19 जून 1910 को मनाया गया था। कई महीने पहले 6 दिसम्बर 1907 को मोनोंगाह, पश्चिम वर्जीनिया में एक खान दुर्घटना में मारे गए 210 पिताओं के सम्मान में इस विशेष दिवस का आयोजन श्रीमती ग्रेस गोल्डन क्लेटन ने किया था। प्रथम फादर्स डे चर्च आज भी सेन्ट्रल यूनाइटेड मेथोडिस्ट चर्च के नाम से फेयरमोंट में मौजूद है।

1966 में, राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने प्रथम राष्ट्रपतीय घोषणा जारी कर जून महीने के तीसरे रविवार को पिताओं के सम्मान में, फादर्स डे के रूप में तय किया। छह साल बाद 1972 में वह दिन आया जब राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इस कानून पर हस्ताक्षर किये और यह एक स्थायी राष्ट्रीय छुट्टी बना.






*डाॅ.कुमुद मिश्रा*

 *असी.प्रोफेसर (संस्कृत विभाग)*

*एस.एस. महिला महाविद्यालय, वाराणसी एवम सामाजिक कार्यकर्ता*

*उत्तर प्रदेश अध्यक्षा - श्री ब्रजेश्वरी सेवा संस्थान, वृंदावन*

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