कहां से आया कोरोना?...ये पता लगाएं वरना 'Covid-26', 'Covid-32' के सामने को रहें तैयार


एक्सपर्टस ने रविवार को कहा कि दुनिया को कोविड -19 की उत्पत्ति का पता लगाने और भविष्य में महामारी के खतरों को रोकने के लिए चीनी सरकार के सहयोग की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि या तो कोविड-19 के ओरिजिन का पता लगाएं या फिर कोविड-26 और कोविड-32 के लिए तैयार रहें।

कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया में अबतक 34 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इस खतरनाक वायरस के प्रकोप से कोई देश नहीं बचा है। इसी बीच एक अमेरिकी एक्सपर्टस ने दुनिया को चेताया है कि कोविड-19 की उत्पत्ति का पता लगाना जरूरी है। नहीं तो आने वाले समय में कोविड-26 और कोविड-32 भी देखने को मिल सकता है।

अमेरिकी मीडिया कंपनी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक वायरस की उत्पत्ति के मुद्दे को लेकर अमेरिका के दो एक्सपर्ट ने बड़ी चेतावनी दी है। एक्सपर्टस ने रविवार को कहा कि दुनिया को कोविड -19 की उत्पत्ति का पता लगाने और भविष्य में महामारी के खतरों को रोकने के लिए चीनी सरकार के सहयोग की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि या तो कोविड-19 के ओरिजिन का पता लगाएं या फिर कोविड-26 और कोविड-32 के लिए तैयार रहें।

स्कॉट गॉटलीब ने कहा कि इस बात का पता लगाना बहुत जरूरी है कि SARS-CoV-2 वायरस क्या वुहान में एक प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि वुहान लैब से कोविड का वायरस लीक होने की थ्योरी को पुख्ता करने वाली जानकारी में इजाफा हुआ है। साथ ही चीन ने इस थ्योरी को गलत साबित करने के सबूत भी नहीं दिए हैं। गॉटलीब अमेरिका की डोनाल्ड ट्रम्प सरकार में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के कमिश्नर थे। अब वे फाइजर के बोर्ड मेम्बर हैं।

टेक्सास के चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल सेंटर फॉर वैक्सीन डेवलपमेंट के को-डायरेक्टर पीटर होट्स का कहना है कि दुनिया को इस बात का अहसास नहीं है कि जिस तरह कोरोना फैला है, उससे भविष्य में भी महामारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन आरोपों की जांच के लिए जनवरी में एक टीम चीन भेजी थी लेकिन चीन ने ऑरिजिनल डेटा नहीं दिया। अब एक बार फिर मांग हो रही है कि जांच दोबारा कराई जाए। ब्रिटेन की सरकार के अडवाइजर और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में क्लिनिकल माइक्रोबायॉलजी के प्रोफेसर रवि गुप्ता ने भी द टेलिग्राफ से कहा है कि लैब लीक थिअरी की तह तक नहीं पहुंचा गया है।

रिपोर्ट्स में बताया गया है कि युन्नान की खदान में मजदूरों के बीमार पड़ने के बाद चीन के वायरॉलजिस्ट्स की चार टीमों ने वहां से सैंपल लिए और उन्हें 9 वायरस मिले जिन्हें वुहान लैब भेजा गया। इनमें से एक RaTG13 था जो SARS-CoV-2 से 96.2% मिलता-जुलता था। इसके और कोविड-19 फैलाने वाले कोरोना वायरस के बीच में सिर्फ 15 म्यूटेशन का गैप था।

साभार- जनसत्ता




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