जिले का सर्वेसर्वा होता है जिला पंचायत अध्यक्ष, जानें- कितनी मिलती है सैलरी और क्या है काम


लखनऊ. उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हो चुके हैं। प्रदेश को 58,175 ग्राम प्रधान, 75,852 क्षेत्र पंचायत सदस्य और 3051 नये जिला पंचायत सदस्य मिल चुके हैं (हालांकि, इनमें से कुछ का निधन हो चुका है)। अब बारी ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष चुनने की है। इन पदों को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है। आइये जानते हैं कि जिला पंचायत अध्यक्ष के जिस पद के लिए प्रदेश ही नहीं देश के बड़े नेता दिलचस्पी ले रहे हैं, आखिर उनके पास क्या पॉवर होती है और प्रतिमाह कितना मानदेय मिलता है।

त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था में जिला पंचायत अध्यक्ष का पद सबसे बड़ा होता है। इस पद पर अपने प्रतिनिधि को बिठाने की ख्वाहिश हर राजनीतिक दल की होती है। राजनीतिक दल इसके लिए वह पूरा दमखम तक लगा देते हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष जिले भर की ग्राम पंचायतों का सर्वेसर्वा होता है। इसके जिम्मे पंचायतवार सड़क, सफाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाओं को जुटाने की जिम्मेदारी होती है। जिला पंचायत अध्यक्ष की सहमति के बाद ही कोई प्रस्ताव पारित होता है। इतना ही नहीं, जिलाधिकारी भी विकास कार्यो को जिला पंचायत अध्यक्ष की अनुमति से ही करवाता है। जिला पंचायत अध्यक्ष को अभी केंद्र और राज्य सरकार के मद से प्रतिवर्ष कम से 10 करोड़ का बजट मिलता है।

जिला पंचायत सदस्य को कितना मानदेय मिलता है? 

मतदाता जिला पंचायत सदस्य को चुनते हैं और जिला पंचायत सदस्य ही जिला पंचायत अध्यक्ष को चुनते हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित सदस्यों में से एक होता है। राज्य सरकार की ओर से जिला पंचायत अध्यक्ष को प्रतिमाह 14000 रुपए मानदेय मिलता है। इसके अलावा अन्य भत्ते भी जिला पंचायत अध्यक्ष को मिलते हैं।

साभार- पत्रिका



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