बलिया सहित पूरे पूर्वांचल के जिलों में वर्तमान समय में तीन-चार दिनों से जाड़ा का अहसास ही नहीं हो रहा है। सूरज की किरणों से आने वाली गर्मी इस जाड़े में भी बसंत ऋतु का अहसास करा रही है। जबकि आजकल का समय कुहरे से भरा शीतलहरी का होता है।
वास्तव में आजकल जाड़े के दौरान सूरज से आ रही यह गरमी मौसम में नये बदलाल का लक्षण है। सूरज में आयी इस तल्खी का मुख्य कारण यह है कि चार-पाँच दिनों से जो पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी भारत में अपना असर दिखा रहा है, जिसके वजह से एन सी आर तहत पश्चिमी उत्तर- प्रदेश में भी वर्षा हुई है और कहीं- कहीं ओले भी पड़े हैं।इसके साथ ही साथ पहाड़ों पर बर्फबारी भी हुई है, जिसके चलते पूरे उत्तरी भारत में शीत लहरी भी चली है, किंतु पूर्वी उत्तर- प्रदेश में यह विक्षोभ आते- आते कमजोर पड़़ गया और और कुछ बादल तो लगे किंतु वर्षा नहीं हो पायी। नतीजा यह हुआ कि जब मौसम साफ हुआ और वायुमंडल भी स्वच्छ हो गया तो सूर्य कि किरणें बेरोक-टोक पूर्वी उत्तर-प्रदेश की धरती पर आने लगी, जिससे गर्मीं का अहसास होने लगा है। यद्यपि इस दौरान सुबह- सुबह कुछ कुहरा छाया रहता था और ठंढक भी रहती थी।
सूर्य की गर्मी से उत्पन्न यह वातावरण नये मौसम का संकेत दे रहा है। कारण कि तीन - चार दिनों से हो रही इस गर्मी के चलते वातावरण में परिवर्तन हो रहा है और स्थानीय स्तर वाष्पीकरण में भी वृद्धि हो रही, जिसके चलते स्थानीय स्तर पर पुनः बलिया सहित पूर्वांचल के जिलों में शनिवार को बादल छाये रहने की संभावना है। बादलों के इस निर्माण में पश्चिमी विक्षोभ का अंतिम भी इस क्षेत्र में अपना कुछ प्रभाव दिखा सकता है और हल्की बूँदा- बाँदी भी हो सकती है। ऐसा मौसम शुक्रवार की देर रात से शनिवार की रात तक रह सकता है। इसके बाद आने वाले सप्ताह में पुनः कुहरा अपना प्रभाव दिखा सकता है। चूँकि मौसम का उपर्युक्त आँकलन अनुभव एवं परम्परागत विधियों पर किया गया है, इसलिए इसमें बदलाव भी आ सकता है।
0 Comments