*पुलिस एक रूप अनेक* 




लखनऊ। कॉरोना वायरस से जहाँ आवाम तमाम चुनौतीयों का सामना कर रही हैं उससे कहीं ज़्यादा चुनौती *पुलिस* को फ़ेस करनी पड़ रही हैं पुलिस का कामला-एन-आर्डर मेनटेन करने का है अपराधियों को पकड़ने का है, अपराध पर अंकुश लगाने का है, पर कॉरोना वायरस जैसी आपदा के आ जाने से इन पुलिस वालों पर कयी तरह की जिम्मेदारी अलग से पड़ गयी है जहाँ लोगों की भलाई के लिये और लोगों की ज़िन्दगी की सलामती के लिये घर में रहने को कहा जा रहा है वहीं ये पुलिस कर्मी अपनी जान जोखिम में डाल कर अपना फ़र्ज़ निभा रहे हैं और साथ में इंसानियत में सराबोर काम को भी अन्जाम दे रहे हैं।  


जैसे कि थाना सुशांत गोल्फ़ सिटी के प्रभारी निरीक्षक अजय कुमार सिंह को जब पता लगा कि क्षेत्र में किसी गर्भवती महिला की बहुत ज़रूरी दवाई ख़त्म हो गयी है तो उनके घर जाकर पर्चा ले कर सिविल अस्पताल से दवाइयां लाकर दीं इसी प्रकार इंस्पेक्टर तालकटोरा धनंजय सिंह ने कयी लोगों को दवाइयां मुहय्या करवाईं।


इसी तरह जानकी पुरम क्षेत्र में जी.के मुखर्जी नामक 80 वर्षीय एक बुजुर्ग जोकि अकेले रहते थे उनको जानकी पुरम थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर सूर्य प्रताप सिंह ने 24 मार्च को वृद्धाश्रम पहुँचाया था और लगातार उनकी खैरियत लेते रहते थे जिनका 11 अप्रैल को देहान्त हो गया था सब इंस्पेक्टर सूर्य प्रताप सिंह ने एक बेटे के मानिंद उनका अंतिम संस्कार किया।


थाना आलमबाग में तैनात सब इंस्पेक्टर गुलाब सिंह कुछ चिन्हित गरीबों को दो वक्त का खाना अपनी तरफ़ से खिला रहे हैं।
हज़रत गंज एसीपी  अभय कुमार मिश्र मलबे को अपने हाथों से हटाते हैं, कि मशीनी मदद आने में देर लग रही है कहीं कोई दबा न हो,


इसी प्रकार पुलिस विभाग के हर छोटे बड़े अधिकारी व पुलिस कर्मी तथा लखनऊ के हर थाने के थाना प्रभारी अपनी अपनी टीम के साथ अपराधियों की धर पकड़ के साथ साथ मानवता के भी काम करने से पीछे नहीं हट रहे हैं।कोई किसी को खाना खिला रहा है कोई किसी की पैसे से मदद कर रहा है, कोई किसी ज़रूरतमन्द को अपना खून दे रहा है गोया की जिसको भी नेक काम करने का मौका मिल रहा है,वो चूक नहीं रहा है। और ऐसा करके पुलिस ने साबित कर दिया है के वर्दी की कड़क के पीछे बेहद नरम दिल भी मौजूद हैं।


 परवेज़ अख्तर की रिपोर्ट लखनऊ 


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