नियमों की अनदेखी कर निदेशक बनने की तैयारी
लखनऊ, एसजीपीजीआई के नए निदेशक के तौर पर जिनका नाम सबसे आगे हैं वह है वर्तमान में सीएमएस पद पर तैनात डॉ अमित अग्रवाल वहीं सूत्रों द्वारा कुछ डॉक्टरों का कहना है कि अमित अग्रवाल की तैनाती नियम के विरुद्ध हो रही है जब कि वह इस पद के योग्य नहीं है।
एसजीपीजीआई में पिछले सप्ताह निदेशक पद के लिए स्क्रीनिंग कमेटी ने तीन नामों को चुना है जिसमें अमित अग्रवाल का नाम सबसे आगे है जबकि दूसरे नंबर पर एम्स के डॉक्टर धीमान और तीसरे नंबर पर महिला उम्मीदवार डॉक्टर नेगी है और इसी क्रम में अमित अग्रवाल पहले नंबर पर हैं और अगले सप्ताह शायद गवर्नर महोदय द्वारा इनकी तैनाती भी हो सकती है।
सूत्रों की माने तो अमित अग्रवाल काफी तिकड़मी व्यक्ति हैं इनकी तिकड़म का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सपा सरकार मैं इन्हें पूर्व निदेशक बनाया गया जबकि यह अपने एंडोक्राइन सर्जरी के विभागाध्यक्ष तक कभी नहीं रहे। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की नियमावली के मुताबिक चिकित्सा अधीक्षक बनने की पात्रता 10 साल और प्रशासनिक अनुभव होना अनिवार्य है और साथ ही इतने ही साल विभागाध्यक्ष होना भी जोकि अमित अग्रवाल कभी नहीं रहे और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पूर्व की सरकार की लापरवाही के चलते यह सीधे मुख्य चिकित्सा अधीक्षक बन गए और अभी तक इसी पद पर कायम हैं।
सूत्रों की माने तो अमित अग्रवाल और पूर्व निदेशक राकेश कपूर की जुगलबंदी ने पिछले 5 सालों में इनके काम नहीं कारनामे बोलते हैं। इन्होंने प्रत्येक वर्ष जनता के इलाज के लिए मिलने वाला लगभग 1000 करोड़ में बजट का लगभग 75 से 80 फ़ीसदी हिस्सा निर्माण, रखरखाव और रिपेयरिंग में खर्च कर दिया पूरे 5 सालों में दो बार सिर्फ कागजों पर पीजीआई की इलेक्ट्रिक वायरिंग बदली गई साथ ही पुरानी बिल्डिंग में 17 निकासी गेट को महंगे शीशों से बंद करवाया गया जिससे मरीजों और तीमारदारों की जान संशय में पड़ गई क्यों कि यदि आग लगती है तो मरीज और तीमारदार दोनों को ही निकलने का रास्ता नहीं मिलेगा।
सूत्र के मुताबिक पूरे पीजीआई परिसर में पहले से ही अच्छी गुणवत्ता का कोटा पत्थर लगा था किंतु अमित अग्रवाल द्वारा उसमें ऊपर महंगा फैंसी टाइल्स लगवाने का प्रस्ताव पूर्व निदेशक राकेश कपूर को भेजा गया जो तुरंत स्वीकृत हो गया और पैसे की बंदरबांट कर ली गई वही सूत्र बताते हैं कि बीते 5 सालों के भीतर ही एसी डक्ट को दो बार बदला गया जबकि इसकी लाइफ लगभग 15 साल मानी जाती है।
सूत्रानुसार पूर्व निदेशक राकेश कपूर और अमित अग्रवाल की जुगलबंदी यहीं नहीं रुकी पिछले वित्तीय वर्ष में अमित अग्रवाल द्वारा पीजीआई से नई बिल्डिंग बनवाने के लिए 403 करोड़ का लोन लिया गया इसमें लाइजनिंग का खर्च भी जोड़ा गया सूत्र बताते हैं इसी लाइजनिंग के चलते अमित अग्रवाल ने कई शहरों में जमीने खरीद ली जिस्म भविष्य में प्राइवेट अस्पताल देखने को मिलेगा और अब तक की कमाई गई दो नंबर की रकम एक नंबर कि कैसे होगी इसका आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है वहीं लोन होने के बाद ट्रेडिंग के नियमों में फेरबदल कर निर्माण का कार्य अपने चहेतों को दिया गया और उसमें मोटे कमीशन की बात भी तय हुई जिसकी वसूली अब तक जारी है।
सूत्रों की माने तो पूर्व निदेशक और अमित अग्रवाल की जोड़ी का सबसे मुख्य कारण यह है कि राकेश कपूर के सगे भतीजे द्वारा दवा सप्लाई की सात फर्म चलाई जाती है जिसमें लगभग 80 करोड़ की दवा प्रतिवर्ष पीजीआई में ही सप्लाई होती है
फिलहाल लब्बोलुआब यह है कि अमित अग्रवाल के निदेशक बनने पर कई उंगलियां उठ रही है।
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