किसी के धर्म में जाने की बजाय उसे अपने धर्म में लाने की ताकत रखें बेटियां : पंडित प्रदीप मिश्रा


अपने घर में रूखी-सूखी जैसी भी रोटी मिले, उसे खाकर गुजारा करो पर दूसरों के घर जाकर उनकी जूठन मत खाओं। दूसरे धर्म में आने के लिए पहले खूब प्रलोभन मिलेंगे, कुछ दिन खूब खातिरदारी होगी, लेकिन फिर कोई नहीं पूछेगा।

बेटियां मां ताप्ती जैसा तप स्वयं में रखें और खुद किसी के धर्म में जाने के बजाय किसी के द्वारा ऐसी कोशिश करने पर उसे अपने धर्म में लाने की ताकत रखें। अपने सनातन धर्म को छोड़कर हम कहीं नहीं जाएं। मां ताप्ती ने भी स्वयं कोई परीक्षा नहीं दी और न तप किया बल्कि राजा सवर्ण को उन्हें पाने के लिए तप करना पड़ा, परीक्षा देनी पड़ी। यह बात पंडित प्रदीप मिश्रा ने कोसमी में हो रही ताप्ती शिव महापुराण कथा के चौथे दिन बड़ी संख्या में पहुंचे भक्तों से कही। उन्होंने आगे कहा कि अपने घर में रूखी-सूखी जैसी भी रोटी मिले, उसे खाकर गुजारा करो पर दूसरों के घर जाकर उनकी जूठन मत खाओं। दूसरे धर्म में आने के लिए पहले खूब प्रलोभन मिलेंगे, कुछ दिन खूब खातिरदारी होगी, लेकिन फिर कोई नहीं पूछेगा। इसलिए बेटियां इसे लेकर खास तौर से सचेत रहें।

पंडित प्रदीप मिश्रा ने बेटी और पिता को भावुक प्रसंग सुनाया जिससे सभी भक्तों की आंखें नम हो गईं। उन्होंने कहा कि बेटी जिस दिन से जन्म लेती है, उसी दिन से पिता उसके विवाह के लिए जोड़ना शुरू कर देते हैं। हैसियत न होने के बावजूद बेटी की हर इच्छा पूरी करते हैं। बेटी का कन्यादान उनकी सबसे बड़ी तमन्ना होती है। बेटी का जब विवाह होता है तो वे उसके सामने तक नहीं आ पाते और यहां-वहां छिप कर रोते रहते हैं। ऐसे में यदि बेटी उनकी मर्जी के बगैर अपनी मनमर्जी से विवाह कर लें तो उन्हें कितना दुख होगा, वे किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाते हैं।

पिता के रहते तक बेटी दुनिया की सबसे खुशनसीब राजकुमारी रहती है। पिता दुनिया की सबसे बड़ी दौलत होते हैं। इसलिए हमेशा उनका सम्मान करें। इस प्रसंग के दौरान न केवल बेटियां बल्कि महिलाएं और पुरूष श्रद्धालुओं तक की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने यह सलाह भी दी कि हर दिन बाहर से आने पर बेटा हो या बेटी, अपने पिता के पास कुछ समय जरूर बैठें और अपने मन की बात उनसे करें।

आप सभी की झोली भरकर ही भेजेंगे बाबा महादेव :

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि दो दिन से रात्रि में हो रही वर्षा से पूरा कथा प्रागंण पानी और कीचड़ से सराबोर हो गया है। मेरे द्वारा अपील करने के बाद भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु कथा का श्रवण करने पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं को कथा सुनने में किसी भी प्रकार की समस्या ना हो इसके लिए आयोजन समिति और सेवाभावी लोगों द्वारा भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन बारिश अधिक होने से कीचड़ से समूचा क्षेत्र सराबोर हो गया है। इसके बावजूद भी आपका इतनी बड़ी संख्या में कथा सुनने आना आपकी भोलेनाथ के प्रति अविरल भक्ति को ही दर्शाता है। मैं आपको नमन करता हूं। उन्होंने कहा कि भगवान भोलेनाथ आपकी परीक्षा ले रहे हैं। भगवान के प्रति आपका यह भरोसा और दृढ़ता ही है कि आप महादेव की कथा को सुन रहे हैं। भक्ति को श्रवण कर रहे हैं। मेरा महादेव आपकी झोली को भरकर ही भेजेगा।

ताप्ती-यमुना में स्नान का महत्व बताया :

पंडित प्रदीप मिश्रा ने मां ताप्ती के भद्रकाली से मां ताप्ती बनने की कथा सुनाते हुए यमुना नदी में यम द्वितीया और मां ताप्ती में कार्तिक पूर्णिमा पर भाई-बहन के स्नान का महत्व भी बताया। उन्होंने कहा कि ऐसा करने वाले भाई-बहन सात जन्म तक सुखी रहते हैं। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से भी आह्वान किया कि वे सभी भी ताप्ती स्नान का महत्व समझें और कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान जरूर करें। इसके साथ ही उन्होंने थारो निर्मल-निर्मल पानी, ओ ताप्ती महारानी... भजन भी सुनाया। भजन शुरू होते ही मौजूद सभी श्रद्धालु झूम उठे।

साभार - नईदुनिया







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