यहां बाबा काल भैरव को प्रसाद में चढ़ती है मदिरा... फिर शराब कहां जाती है ये अभी भी है रहस्य


16 नवंबर 2022 को काल भैरव जयंती है. भारत में एक ऐसा अनोख मंदिर है जहां बाबा को मदिरा चढ़ाई जाती है. जानते हैं इस विशेष मंदिर की रोचक बातें और रहस्य.

नवंबर 2022 को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव का जन्मोत्सव मनाया जाता है. यह दिन भगवान शिव के रौद्र अवतार बाबा काल भैरव को समर्पित है. काशी में काल भैरव को कोतवाल की उपाधि दी गई है. वहीं भारत में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां बाबा भैरव को प्रसाद के रूप में मदिरा चढ़ाई जाती है. कहते हैं कि यहां मूर्ति मदिरा का सेवन करती है लेकिन ये मदिरा कहां जाती है ये आज भी रहस्य है. आइए जानते हैं इस विशेष मंदिर की रोचक बातें और रहस्य.

काल भैरव को कहां चढ़ती है शराब ?

मध्यप्रदेष के उज्जैन और दिल्ली में काल भैरव का अनोखा मंदिर है जहां बाबा को शराब अर्पित की जाती है. उज्जैन के शिप्रा के तट पर स्थित इस मंदिर को भैरवगढ़ के नाम से जाना जाता है. यहां मंदिर के बाहर पूजन सामग्री के साथ बाबा को चढ़ाने के लिए शराब भी बिकती है. मान्यता के अनुसार इस मंदिर का स्कंदपुराण के अवंति खंड में वर्णन मिलता है.यहां में भगवान कालभैरव के वैष्णव स्वरूप की पूजा की जाती है.

मंदिर से जुड़े रहस्य

कहते हैं कि यहां जब पात्र में शराब लेकर मूर्ति से स्पर्श की जाती है तो थड़ी देर में पूरा पात्र खाली हो जाता है. ये शराब कहां जाती है, ये रहस्य आज भी बना हुआ है. रोजाना कई श्रद्धालु बाबा की महीमा और इस दृश्य को देखने के लिए यहां आते हैं. काल भैरव को शराब जरूर चढ़ाई जाती हैं लेकिन इस प्रसाद को बांटा नहीं जाता. बाबा को शराब अर्पित करने का मकसद अपनी समस्त बुराईयों को छोड़ने का संकल्प लेना है. मदिरा यानी सुरा भी शक्ति का ही एक रूप है. इस शक्ति का उपभोग नहीं किया जाना चाहिए.

बाबा को पहनाई जाती है विशेष पगड़ी

भगवान कालभैरव की प्रतिमा पर सिंधिया घराने की पगड़ी सुशोभित है. मान्यता है कि 400 साल दुश्मनों ने जब सिंधिया घराने के राजा महादजी सिंधिया पर विजय प्राप्त की थी तो वह कालभैरव की शरण में पहुंचे थे. यहां उनकी पगड़ी गिर गई थी, तब महादजी सिंधिया ने अपनी पगड़ी भगवान कालभैरव को अर्पित कर दी और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की प्रार्थना. कहते हैं इसके बाद महादजी सिंधिया ने सभी शत्रुओं को खदेड़कर लंबे समय तक शासन किया था. इसके बाद से ही ग्वालियर के राजघराने की तरफ से आज भी कालभैरव को पगड़ी पहनाई जाती है.

Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 

साभार- एबीपी न्यूज़




Comments