चाणक्य नीति : सांप से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं वे दोस्त, जो करते हैं ऐसा….



चाणक्य को नीति शास्त्र का ज्ञाता कहा जाता है. जिनके द्वारा बताई गई बातें हर व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. चाणक्य ना केवल राजनीति, धर्म, न्याय और जीवन जीने से जुड़ी बातें बताई हैं. बल्कि उनके द्वारा बताई गई बातें हर रिश्ते और काम पर सटीक बैठती हैं. चाणक्य ने किसी भी व्यक्ति को परेशानियों से कैसे निकला जाए, या कैसे किसी समस्या का समाधान ढूंढा जाए.

इस बारे में भी अपनी सारी नीतियां बताई हैं. इसी तरह से चाणक्य ने व्यक्ति के दोस्त के बारे में भी अपनी राय व्यक्त की है. उनका मानना है कि जिस व्यक्ति के जीवन में ऐसा दोस्त होता है, वह किसी खतरनाक सांप से कम नहीं होता. तो चलिए जानते हैं चाणक्य ने किस तरह के दोस्त की तुलना सांप से की है?

चाणक्य के अनुसार ऐसे दोस्तों से सदा बचकर रहें…

‘दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जनः .

सर्पो दंशति काले तु दुर्जनस्तु पदे पदे ..

तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायास्तु मस्तके.

वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सर्वाङ्गे दुर्जने विषम्..’

इस श्लोक के मुताबिक, जो दोस्त सदैव आपकी तारीफ करता रहता है. साथ ही आपके सामने अच्छा होने का दावा करता है. इतना ही नहीं, वह आपके पीछे आपको हराने के की योजनाएं बनाता रहता है. और आपकी विपरीत परिस्थितियों में सदैव अपना उल्लू सीधा करता है.

आपको सदैव ऐसे व्यक्ति से दूर रहना चाहिए. किसी ऐसे व्यक्ति की ना तो शत्रुता अच्छी होती है और ना ही मित्रता. तो ऐसे दुष्ट और चालाक व्यक्तियों से बेहतर सांप होते है. क्योंकि सांप भी आपको तभी नुकसान पहुंचाते हैं, जब आप उनका अहित करते हो.

लेकिन ऐसा व्यक्ति जो आपके सामने कुछ और है पीछे कुछ और होता है. वह न केवल मन का अशुद्ध बल्कि तन से भी अशुद्ध होता है. ऐसे व्यक्ति की संगति से सदैव बचकर रहना चाहिए. अन्यथा वह आपको भविष्य में किसी भी बड़े खतरे में डाल सकता है.






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