धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशमी या गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है।
गंगा दशहरा की शुरुआत 31 मई से होने जा रही है। यह त्यौहार गंगा नदी के तट पर दस दिवसीय गंगा दशहरा पर्व के रुप में मनाया जाता है। ये 10 दिन रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा नदी में डुबकी लगाते है और पूजा-पाठ आदि करते है। साथ ही जरुरतमंदो को दान-पुण्य कर लाभ प्राप्त करते है। माना जाता है कि ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि को देवनदी गंगा धरती पर आईं थी। इस कारण इस तिथि पर गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 9 जून को मनाया जाएगा। गंगा दशहरा के दिन किए गए व्रत, पूजन, दान और यज्ञ से मनुष्य के दस प्रकार के पाप नष्ट हो जाते है।
इस विधि से 9 जून तक रोज करें स्नान :
गंगा दशहरा पर्व के दौरान उन दस दिनों में रोज गंगा स्नान का महत्व है। लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं हो पाए तो अपने आस-पास किसी नदी या तालाब में भी स्नान कर सकते है। और अगर ऐसा भी न हो पाए तो सुबह स्नान करने से पहले पानी में गंगा जल की कुछ बूंदे डालकर नीचे लिखा मंत्र बोलकर स्नान करें।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलsस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
नहाते समय इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को पवित्र नदियों में नहाने जैसा पुण्य मिलता है। साथ ही स्नान के दौरान ओम: शिवाय मंत्र का जाप भी मन ही मन करना चाहिए। इस स्नान का फल गंगा स्नान के समान ही बताया गया है।
इस तरह से स्नान करना तन के साथ मन को भी पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। स्नान के बाद भगवान की पूजा करें। साथ ही जरुरतमंदो को अपनी इच्छानुसार दान करें। गंगा दशहरा के इस दस दिवसीय पर्व के दौरान ये सभी पुण्य काम करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
इसलिए कहा जाता है गंगा अवतरण को गंगा दशहरा :
धर्म ग्रंथो के मुताबिक जिस दिन गंगा नदी स्वर्ग से पृथ्वी पर आई थीं। उस दिन ऐसे दस शुभ योग थे जिससे मनुष्य के दस पापों का नाश होता है इसी कारण से इस दिन को दशहरा कहा जाता है। ये दस शुभ योग कुछ इस प्रकार है- ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, हस्त नक्षत्र, गर करण, बुधवार, आनंद योग, व्यतिपात योग, कन्या का चंद्र और वृषभ राशि का सूर्य।
साभार- नई दुनिया
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