उत्तर प्रदेश : राशन के मुद्दे पर योगी आदित्यनाथ अफसरों से खफा, रिकवरी का पत्र लिखने वाले नपेंगे


लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राशन कार्ड धारकों की पात्रता और अपात्रता को लेकर भ्रम फैलाने वाले अफसरों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खफा हैं। दरअसल, खाद एवं रसद विभाग के दो अधिकारियों ने राज्य के जिलाधिकारियों को एक पत्र भेजा। जिसमें अपात्र राशन कार्ड धारकों से रिकवरी की बात कही गई। जिलाधिकारियों ने इस पत्र को शासनादेश समझकर कार्यवाही शुरु कर दी। जिसकी वजह से पूरे राज्य में हड़कंप मच गया। इतना ही नहीं राशन के मुद्दे को लेकर विपक्ष भी सरकार पर हमलावर हो गया। सोशल मीडिया पर पिछले करीब 10 दिनों से यह मामला सुर्खियों में चल रहा है। अब इस मामले में खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है। उन्होंने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। यह पत्र जिलों में भेजने वाले अफसरों पर कार्यवाही हो सकती है।

अपात्रों को दिए राशन की वसूली का प्रकरण शासन में बैठे अफसरों ने पैदा किया है। लखनऊ से मिली जानकारी के मुताबिक, अब इन दोषी अफसरों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। इन्हें कुछ शीर्ष अधिकारी बचा रहे हैं। अफसरों के कारनामें से मुख्यमंत्री बेहद खफा हैं। मुख्यमंत्री को पता नहीं चला और अफसरों ने बड़ी समस्या पैदा कर दी है। दरअसल, अपात्रों से राशन का पैसा वसूली का आदेश प्रमुख सचिव खाद्य रसद बीना कुमारी मीणा और खाद्य आयुक्त सौरभ बाबू माहेश्वरी ने भेजा था। बीना और सौरभ ने जिलों में निर्देश दिए थे। जिलाधिकारियों को बकायदा आदेश दिए गए थे। शासन का आदेश मानकर डीएम ने पालन किया। अब मामला फंसा तो शासन के अफसर बैकफुट पर आ गए हैं। अभी तक तो बीना और सौरभ बाबू पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ खफा हैं और दोनों अफसरों का कम से कम महकमों से हटना तय है।

राशन रिकवरी की फ़ूड सिक्योरिटी एक्ट में व्यवस्था नहीं : 

उत्तर प्रदेश सरकार करीब एक साल से राज्य के करोड़ों लोगों को मुफ्त राशन मुहैया करवा रही है। जिसके तहत गेहूं, चावल, तेल, नमक और तमाम दूसरी चीजें दी गई हैं। कोरोनावायरस के कारण फैली महामारी के चलते राज्य सरकार ने यह फैसला लिया था। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ सरकार को इस योजना का बड़ा फायदा मिला है। खास बात यह है कि यह स्कीम फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत केंद्र और राज्य सरकार मिलकर संचालित कर रहे हैं। फूड सिक्योरिटी एक्ट में कहीं भी राशन रिकवरी करने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि बीना मीना और सौरव बाबू ने किस कानून के तहत राज्य के जिलाधिकारियों को राशन का पैसा रिकवर करने का आदेश भेजा है।

पात्रता को लेकर मीडिया में भ्रम फैलाया गया : 

उत्तर प्रदेश में मुफ्त राशन लेने के लिए कौन पात्र है और कौन अपात्र है, इसे लेकर भी मीडिया में भ्रम फैलाया गया है। तमाम अखबारों और समाचार चैनल ने इस खबर को प्रमुखता से प्रसारित किया। जिसकी वजह से आम आदमी में हड़कंप मच गया। हर जिले में बड़ी संख्या में लोगों ने राशन कार्ड सरेंडर किए हैं। इसके बाद विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला। मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा। मुख्यमंत्री ने खाद्य एवं रसद विभाग को स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया। दो दिन पहले राज्य के खाद्य आयुक्त सौरव बाबू महेश्वरी ने एक पत्र जारी किया है। जिसमें इन तमाम खबरों का खंडन किया है। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में राशन कार्ड रखने और फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत लाभ लेने की पात्रता सार्वजनिक की है। इसके बाद राज्य में माहौल सामान्य हुआ है।




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