निर्जला एकादशी उपवास में रखें इन बातों का ध्यान, नहीं तो पुण्यफल से रह जाएंगे वंचित


सनातन धर्म में एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व है. साल में पड़ने वाली लगभग हर एकादशी को व्रत रखा जाता है. आइए जानें निर्जला एकादशी व्रत का महत्व.

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम जाना जाता है. इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. साल 2022 में 10 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. जेठ की कड़ी धूप में भोजन और जल पर संयम रखते हुए निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है. इस व्रत को करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती हैं. यह व्रत महिला और पुरुष दोनों के द्वारा किया जाता है.

निर्जला एकादशी व्रत में पूरे दिन भर जल का सेवन नहीं किया जाता. सच्चे मन से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना की जाती है. एकादशी का व्रत रखने वाले को बहुत अधिक संयम और धैर्य से काम लेना चाहिए. इस समय गर्मी का भीषण प्रकोप रहता है. इसलिए अधिक नहीं बोलना चाहिए, नहीं तो कंठ सूख जाता है.

निर्जला एकादशी में ध्यान रखने योग्य बातें :

-वैसे तो हर व्रत संयम और संकल्प का प्रतीक है. लेकिन निर्जला एकादशी के व्रत में कुछ विशेष बातों पर ध्यान देना अति आवश्यक है.

-व्रत रखने वाले जातक को सुबह स्नान करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए.

-एकादशी का व्रत बिना जल के मनाया जाता है. इस दिन पूरे दिन भर उन्हें अपने भूख और प्यास पर संयम रखना पड़ेगा.

-एकादशी का व्रत रखने वाले को अपनी वाणी पर भी संयम रखना चाहिए. क्रोध पूर्ण वाणी का प्रयोग नहीं करना चाहिए. किसी से अनावश्यक वाद विवाद न करें.

-पूरे दिन भर निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले को ब्रम्हचर्य का भी पालन करना चाहिए.

-निर्जला एकादशी के दिन दान पुण्य का बहुत अधिक महत्व है. अतः गर्मी में काम आने वाली चीजें दान करना अति लाभदायक होता है.

-व्रत रखने वाले व्यक्ति को जल से भरा हुआ कलश, खड़ाऊ, छाता, खीरा, ककड़ी आदि का दान मनोवांछित फल दायक होता है.

Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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