कुंडली के अनुसार ज्योतिष इस मंत्र की साधना कराने की भी सलाह देते हैं, जिससे जातक का आने वाला समय अच्छी तरह से निकले।
महामृत्युंजय मंत्र की साधना से व्यक्ति को कई तरह के लाभ होते हैं। इस मंत्र में भगवान शिव की स्तुति की जाती है। कुंडली के अनुसार ज्योतिष इस मंत्र की साधना कराने की भी सलाह देते हैं, जिससे जातक का आने वाला समय अच्छी तरह से निकले।
शास्त्रों के अनुसार महामृत्युंजय मन्त्र 'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात' ऋषि मार्कंडेय द्वारा सबसे पहले पाया गया था। महामृत्युंजय मंत्र यजुर्वेद के रूद्र अध्याय स्थित एक मंत्र है। इसमें शिव की स्तुति की गई है। इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप करने से आने वाली अथवा मौजूदा बीमारियां तथा अनिष्टकारी ग्रहों का दुष्प्रभाव तो समाप्त होता ही है, इस मंत्र के माध्यम से अटल मृत्यु तक को टाला जा सकता है। यदि आपकी कुंडली में किसी भी तरह से मृत्यु दोष या मारकेश है तो इस मंत्र का जाप करें।
मंत्र के लिए यह समय उत्तम : शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र का जप करने के लिए सुबह 2 से 4 बजे का समय सबसे उत्तम माना गया है। स्नान करते समय शरीर पर लोटे से पानी डालते वक्त इस मंत्र का लगातार जप करते रहने से स्वास्थ्य-लाभ होता है। जब किसी की अकाल मृत्यु किसी घातक रोग या दुर्घटना के कारण संभावित होती हैं तो इससे बचने का एक ही उपाय है, महामृत्युंजय साधना। सनातन धर्म में इस मंत्र का विशेष महत्व है। कई सनातनी धर्मी प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करते हैं। शिव मंदिरों में इस मंत्र को आसानी से सुना जा सकता है।
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