30 साल बाद बन रहा शनि जयंती पर खास संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि


हिंदू धर्म में शनि जयंती का बेहद महत्व है। यह दिन कर्मफलदाता को प्रसन्न करने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है।

ज्येष्ठ मास की अमावस्था तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। इस दिन भगवान शनि का जन्म हुआ था। मान्यताओं के अनुसार शनिदेव इंसानों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। कर्मफलदाता की कृपा पाने के लिए शनि जयंती का दिन काफी खासी होता है। इस दिन विधिवत तरीके से पूजा करने से शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या से छुटकारा मिलता है। साथ ही सूर्यपुत्र की कृपा सभी दुख-दर्द से राहत मिलती है। आइए जानते हैं शनि जयंती की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि।

शनि जयंती पर बन रहा खास संयोग : 

शनि जयंती का दिन इस बार खास है। इस वर्ष सोमवती अमावस्या के साथ वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। ऐसा संयोग 30 साल बाद बन रहा है। शनिदेव कुंभ राशि में रहेंगे। साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।

शनि जयंती का शुभ मुहूर्त :

शनि जयंती तिथि: 30 मई 2022, उदया तिथि होने के कारण इसी दिन शनि जयंती है।

शनि जयंती पूजा विधि : 

अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। शनिदेव का स्मर्ण करते हुए व्रत का संकल्प लें। एक चौकी में काले रंग का वस्त्र बिछाकर शनिदेव की फोटो या प्रतीक के रूप में सुपारी रखें। इसे पंचामृत से स्नान कराएं। अब सिंदूर, कुमकुम और नीले रंग के फूल अर्पित करें। सरसों का तेल और तिल चढ़ाएं। इसके बाद दीपक जलाकर शनि चालिसा का पाठ करें।

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