हिंदू धर्म में भक्ति और पुण्य कार्यों के लिए एकादशी का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त व्रत रखते हैं। आमतौर पर साल में 24 एकादशी होती हैं। हर एकादशी का नाम और महत्व अलग-अलग होता है। चैत्र मास की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं। इस बार वरुथिनी एकादशी 26 अप्रैल, मंगलवार को है। यह पर्व 26 अप्रैल को सुबह 1:37 से शुरू होकर 27 अप्रैल दोपहर 12:47 तक रहेगा। वरुथिनी एकादशी को कल्याणकारी एकादशी भी कहा गया है। माना जाता है कि इस दिन जो श्री विष्णु भगवान का व्रत और पूजा करता है उसे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
वरुथिनी एकादशी का महत्व : एकादशी का व्रत करने से सुख की प्राप्ति होती है और मन की शांति मिलती है। इस व्रत को करने से कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन व्यक्ति को अपना मन धार्मिक कार्यों में लगाना चाहिए। इसके साथ ही पूजा के दौरान ओम नमो भागवत वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है. वरुथिनी एकादशी के दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व जल में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान कर लें। पूजा के दौरान भगवान को खरबूजे का भोग लगाएं और दिन भर भगवान विष्णु का स्मरण करें।
वरुथिनी एकादशी के दिन क्या न करें : अगर आपने वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा है तो उस दिन भोजन नहीं करना चाहिए। प्रसाद में फलाहार ही खाएं। तुलसी भगवान नारायण को बहुत प्रिय हैं, इसलिए उन्हें भी तुलसी जल अर्पित करें। एकादशी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। साथ ही इस दिन नमक के सेवन से भी बचना चाहिए।
वामन अवतार के बाद की जाती है पूजा : भगवान विष्णु के छठे अवतार यानि वामन अवतार के बाद इस दिन पूजा और व्रत रखने का विधान शुरू हुआ। इस दिन पूजा करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है। विष्णु भक्त इस दिन केवल मोक्ष प्राप्त करने के लिए पूजा करते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन पूजा करने और अच्छे कर्म करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
0 Comments