चैत्र नवरात्रि, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक चलती है. दशमी तिथि को कलश विसर्जन और पारण के साथ नवरात्रि का समापन होता है. आमतौर पर नवरात्रि की अवधि 9 दिनों की होती है.
चैत्र नवरात्रि देवी दुर्गा की उपासना के लिए बेहद खास मानी जाती है. इस दौरान 9 दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. इस बार चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से आरंभ होकर 11 अप्रैल को हवन के साथ समाप्त होगी. देवी पुराण के मुताबिक इस चैत्र नवरात्रि मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी. ऐसे में जानते हैं चैत्र नवरात्रि की सही तिथि, घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और जरूरी नियम.
9 दिनों की होगी चैत्र नवरात्रि : पंचांग के मुताबिक इस बार चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू हो रही है. वहीं नवरात्रि का समापन 11 अप्रैल को होगा. यानी इस बार चैत्र नवरात्रि में पूरे 9 दिनों की अवधि में माता के 9 स्वरूपों की आराधना होगी. 9 दिनों की नवरात्रि शुभ मानी जाती है. इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त : चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना (घट स्थापना) की जाती है. इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि को की जाती है. मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना ना करने से माता अप्रसन्न हो जाती हैं. ऐसे में कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए.
कलश स्थापना की विधि : शास्त्रों के मुताबिक कलश स्थापना के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त सूर्योदय से 3 घंटें तक का समय होता है. जबकि किसी दूसरी स्थिति में अभिजीत मुहूर्त उत्तम होता है. करश स्थापना के लिए चौड़े मुंह का कलशनुमा मिट्टी का पात्र लें. इसके बाद पूजा स्थान पर सप्तधान्य बोएं. इसके ऊपर जल भरा कलश स्थापित करें और उसके उपरी हिस्से में मौली बांधें. कलश के ऊपर आम का पल्लव रखें. इसके बाद नारियल को लाल कपड़े में बांधकर कलश के ऊपर स्थापित करें. नारियल पर भी कलावा बांधें. इसके बाद देवी मां का अवाहन करें.
Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.
0 Comments