पूर्णिमा 2022 : पौष मास का शुक्ल पक्ष धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह वो समय है जब सूर्य अपने नक्षत्र उत्तराषाढ़ा में प्रवेश करता है और साथ ही उत्तरायण हो जाता है। इसलिए हिंदू धर्म में स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए पौष महीने के शुक्लपक्ष के तीज-त्योहारों की परंपरा बनाई है। पौष की पूर्णिमा के दिन शाकंभरी जयंती मनाई जाती है। जैन धर्म के मानने वाले पुष्यभिषेक यात्रा प्रारंभ करते हैं। बनारस में दशाश्वमेध तथा प्रयाग में त्रिवेणी संगम पर स्नान को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पौष मास की पूर्णिमा साल 2022 को 17 जनवरी, सोमवार को है। इस दिन पूजा, जप, तप और दान करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति को सौ यज्ञों के समतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही पूर्णिमा के दिन दान करने से अमोघ फल का वरदान मिलता है। अत: पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं पौष पूर्णिमा की तिथि, मुहूर्त , व्रत और विशेष योग के बारे में।
पौष पूर्णिमा तिथि :
-पौष पूर्णिमा तिथि आरंभ : 17 जनवरी, 2022, सोमवार रात्रि 3:18 मिनट से
-पौष पूर्णिमा तिथि समाप्त : 18 जनवरी, 2022, मंगलवार प्रातः 5:17 मिनट तक
-उदया तिथि मान्य होने के कारण पौष पूर्णिमा 17 जनवरी को है।
पौष पूर्णिमा व्रत मुहूर्त :
पूर्णिमा व्रत शुभ मुहूर्त आरंभ : दोपहर 12: 20 मिनट से
पूर्णिमा व्रत शुभ मुहूर्त समाप्त : दोपहर 12;52 मिनट पर
(अभिजित मुहूर्त होने के कारण शुभ कार्यों के लिए उत्तम है।)
पौष पूर्णिमा पर कैसे करें स्नान और दान :
-17 जनवरी 2022 को ब्रह्ममुहूर्त में पौष पूर्णिमा का स्नान करें।
-स्नान के बाद किसी गरीब या ब्राह्मण को अन्न, गरम कपड़े, शक्कर, घी आदि का दान करें।
-यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है तो वे दही, शंख, सफेद वस्त्र आदि का दान करें।
पूर्णिमा व्रत पूजा विधि :
-पूर्णिमा व्रत कारण के लिए भक्त को दिन भर उपवास रखें।
-संध्याकाल में किसी सत्य नारायण की कथा श्रवण करें।
-पूजा के दौरान सर्वप्रथम गणेश जी, इंद्र देव और नवग्रह सहित कुल देवी देवता का पूजन करें।
-इसके उपरांत सत्यनारायण भगवान का पूजन करें।
-भोग स्वरूप भगवान को चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि अर्पित करें।
-इससे सत्यनारायण देव प्रसन्न होते हैं।
-इसके बाद आरती और हवन कर पूजा सम्पन्न करें।
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