खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।
आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज के विचार में आचार्य चाणक्य ने जीवन की तीन महत्वपूर्ण चीजों के बारे में बताया है।
'भूल होना प्रकृति है, मान लेना संस्कृति है और सुधार लेना प्रगति है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य ने अपने इस कथन में तीन चीजों का जिक्र किया है। ये तीन चीजें हैं- भूल होना प्रकृति है, मान लेना संस्कृति और तीसरा सुधार लेना प्रगति है। आज हम आपको इन तीनों चीजों के बारे में एक एक करके बताएंगे।
सबसे पहले बात करते हैं भूल होना प्रकृति है के बारे में। आचार्य चाणक्य का इस कथन में कहना है कि किसी भी मनुष्य से भूल हो सकती है। ये भूल किसी भी तरह की हो सकती है। लेकिन जरूरी ये है कि आप उस भूल को स्वीकार कर लें। ऐसा करने से आपके जीवन में आने वाली अनेक मुसीबतें काफी हद तक कम हो जाएंगी।
दूसरा है- मान लेना संस्कृति है। इसमें आचार्य चाणक्य का कहना चाहते हैं कि अगर आपसे भूल हुई है तो उस भूल को मान लें। अपनी गलती को स्वीकार कर लेने से कोई छोटा या फिर बड़ा नहीं हो सकता। ऐसा करने से आप दूसरों की नजरों में और ऊपर उठ जाएंगे।
तीसरा है- सुधार लेना प्रगति है। अगर किसी मनुष्य से भूल हुई है तो उस भूल हो स्वीकार कर लेना जरूरी है। लेकिन उस भूल से सीख लेकर आपको आगे बढ़ना भी जरूरी है। लेकिन इस बात का जरूर ध्यान रखें कि आप किसी भी घटना से सीख जरूर लें। ऐसा करके ही आप जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।
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