अच्छे मित्र, भाई और पत्नी की कब होती है पहचान? जानिये क्या कहती है चाणक्य नीति


आचार्य चाणक्य का कहना है कि व्यक्ति को मित्रता करते वक्त बेहद ही सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि बुरा संगति या फिर बुरा मित्र संकट के समय आपको धोखा दे सकता है।

अपनी बुद्धमत्ता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध आचार्य चाणक्य की नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। अपनी नीतियों के दम पर ही आचार्य चाणक्य ने नंद वंश का नाश कर एक साधारण से बालक चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाया था। कहा जाता है कि जो व्यक्ति चाणक्य जी की नीतियों का अनुसरण कर ले वह कभी अपने जीवन में असफल नहीं होता। आचार्य चाणक्य को राजनीति के साथ-साथ अर्थशास्त्र और समाज शास्त्र की भी गहराई से समझ थी। अपनी नीतियों में उन्होंने मानव समाज के कल्यण से जुड़ी कई बातों का जिक्र किया है।

आज हम चाणक्य जी की उस नीति के बारे में जानेंगे, जिसमें उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि आपके अच्छे मित्र, भाई और पत्नी की पहचान किस वक्त होती है।

आचार्य चाणक्य के अनुसार नौकर की पहचान काम के समय, सच्चे भाई और अच्छे मित्र की पहचान संकट के समय और पत्नी की पहचान तब होती है, जो व्यक्ति का पूरा धन नष्ट हो जाता है। चाणक्य जी मानते हैं कि जो पत्नी विषम परिस्थितियों में पति का साथ देती है, वह सच्ची जीवन-साथी होती है। इसी तरह जो मित्र संकट पड़ने पर या फिर शत्रुओं से घिर जाने पर आपका साथ देता है, वही अच्छा और सच्चा मित्र होता है।

आचार्य चाणक्य का कहना है कि व्यक्ति को मित्रता करते वक्त बेहद ही सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि बुरा संगति या फिर बुरा मित्र संकट के समय आपको धोखा दे सकता है। वहीं सच्चा दोस्त हर परिस्थिति में आपका साथ निभाता है।

धन के मामले में : चाणक्य जी के अनुसार धन के मामले में व्यक्ति को किसी पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि धन को देखकर किसी का भी विश्वास डगमगा सकता है। ऐसे में व्यक्ति को रुपये और पैसों के मामले में हर किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए।




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