खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।
आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का विचार ये है कि मनुष्य को सकारात्मक रहना चाहिए।
'सोच का प्रभाव मन पर होता है और मन का प्रभाव तन पर होता है। तन और मन दोनों का प्रभाव जीवन पर होता है। इसलिए सकारात्मकता आवश्यक है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को हमेशा अच्छा सोचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि आप जिस तरह का सोचेंगे उस तरह का प्रभाव आपके मन पर पड़ेगा। अगर आप अच्छा सोचेंगे तो उसका असर मन पर अच्छा होगा। इसके विपरीत अगर आप कुछ भी बुरा सोचेंगे तो उसका असर आपके मन पर भी नकारात्मक ही पड़ेगा।
जिस तरह से सोच का असर मन पर पड़ता है, ठीक उसी तरह से मन का असर तन पर पड़ता है। जब भी आप किसी चीज से परेशान होते हैं तो उसका असर मन पर पड़ता है। जिसकी वजह से आप तनाव महसूस करते हैं। अगर आप तनाव में रहेंगे तो शरीर पर भी उसका निगेटिव ही असर होगा। लिहाजा आपकी सेहत बिगड़ सकती है। या फिर आप कुछ भी अच्छा महसूस नहीं करेंगे। अगर इस तरह का लंबे वक्त तक रहा तो ये आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है।
दरअसल, मनुष्य के शरीर में सोच का असर मन पर, मन का असर तन पर और इन दोनों का असर आपके जीवन पर पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि मनुष्य हमेशा सकारात्मक सोचे और अपने आसपास सकारात्मकता बनाए रखे।
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