क्या आपको पता है भगवान शिव को क्यों इतना प्रिय है सावन का महीना


सावन के महीने में भगवान का जलाभिषेक करने के लिए श्रृद्धालु दूर-दूर से आते हैं और शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं। कभी सोचा है कि भगवान शिव को जल से इतना प्रेम क्‍यों है और उनका सबसे प्रिय मास सावन क्‍यों है। इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा और कई रोचक तथ्‍य है। आज हम आपको इनके बारे में बताएंगे खास बातें…

शिवजी को इसलिए प्रिय है श्रावण मास : पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार भगवान शिव को सावन का महीना इसलिए बेहद प्रिय है क्‍योंकि इसी महीने में माता सती से उनका पुर्नमिलन हुआ था। इसके पीछे पौराणिक कथा कुछ इस प्रकार है कि दक्ष पुत्री माता सती ने एक शाप की वजह से अपने जीवन को त्‍याग कर कई वर्षों तक शापित जीवन जीया। उसके बाद अगले जन्‍म में हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में उनका जन्‍म हुआ। पार्वतीजी ने पिछले जन्‍म के पति भगवान शिव को पाने के लिए सावन के महीने में कठोर तप किया। इससे प्रसन्‍न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की और उन्‍हें पत्‍नी का स्‍थान दिया। माता सती से पुनर्मिलन होने की वजह से इस भगवान शिव को यह महीना अतिप्रिय है।


यह भी है एक वजह : धार्मिक मान्‍यताओं में यह भी बताया गया है कि श्रावण मास में देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। इस समुद्र मंथन से हलाहल विष प्रकट हुआ था। इस विष से कोई हताहत न हो इसलिए भगवान शिव ने स्‍वयं इस विष को पी लिया था और इस वजह से ही उन्‍हें नीलकंठ नाम मिला। माना जाता है कि विष को पीने की वजह से उनके शरीर का ताप तेजी से बढ़ने लगा तो देवताओं ने उनके ऊपर जल डाला, तब जाकर शिवजी को राहत मिली। यही वजह से है कि शिवजी को जल से अति प्रेम है।

जल से क्‍यों है शिवजी का खास संबंध : 

-सावन के महीने में बारिश होने की वजह से शिवजी को सबसे प्रिय होता है यह महीना।

-कई स्‍थानों पर भगवान शिव के मंदिर में शिवलिंग पानी में डूबे रहते हैं।

-शिव जी  जल सबसे प्रिय है इसलिए हर मंदिर में शिवलिंग के ऊपर कलश से हर वक्‍त जल गिरता रहता है। इसलिए आप जब भी मंदिर में जाएं एक लोटा जल उस कलश में जरूर डालें। इससे उत्‍तम फल की प्राप्ति होती है।

-शिवजी के मस्‍तक पर गंगा मैय्या और चंद्र विराजमान हैं, और इनका सीधा संबंध भी जल से माना जाता है।




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