*एक पुरानी कहावत है कि*
*खाली पेट भजन नहीं होता!*
*भूखे पेट इबादत नहीं होती!(लेखक,परवेज़ अख्तर)*
चुनाव नजदीक हैं
फिर से लुभावने वादे होंगे नेताओं के नये नये इरादे होंगे कोई चाँद तोड़ने की बात करेगा तो कोई तारे ज़मीन पर लाने की बात करेगा कोई इलाके को पेरिस बनाएगा तो कोई टोकियो बनाने की बात करेगा। फिर से जनता से प्यार जताया जायेगा वोटरों से वफादारी की कसमें खाई जाएंगी फिर से ढेरों वादे किये जायेंगे। और चुनाव जीतने के बाद
ये गाना सुनाया जायेगा
*कसमें वादे प्यार वफ़ा सब वादे हैं वादों का क्या......*
लेकिन जनता इस बार अहद करे कि चुनावी मुद्दा मंदिर मस्जिद नहीं होना चाहिये कब्रिस्तान श्मशान नहीं होना चाहिए हिन्दू और मुसलमान नहीं होना चाहिए।
इस बार के चुनावी मुद्दे
रोज़गार पर होने चाहिए
नौकरी पर होने चाहिए
स्वास्थ्य व शिक्षा पर होने चाहिए। और मंहगाई पर होने चाहिये ! शतक लफ्ज़ अच्छा लगता है जब प्लेयर शतक लगाता है बड़ा मज़ा आता है ,पर पेट्रोल डीजल के शतक लगाने से सारा मज़ा खत्म हो गया ज़िन्दगी का लुत्फ गायब हो गया !!
क्योंकि.....…पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने से सिर्फ पेट्रोल-डीजल ही महंगा नहीं हुआ ..है
जो चीज़ कुछ साल पहले तक जिस कीमत पर थीं अब नहीं रहीं! उसमें ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हो चुका है जैसे की पहले सरसों तेल 65 -70 रुपये प्रति लीटर था अब 200-210 रुपए प्रति लीटर है!
चीनी 25 रुपये प्रति किलो थी। अब 40--42 रुपए प्रति किलो है! पूरे देश में सबसे महंगी बिजली उत्तर प्रदेश में मिल रही है! सीमेंट की कीमत 195 रुपये के आस पास थी अब 400 रुपए की है ! रेत 1500 रुपए की ट्राली थी आज 6000 रुपए की ट्रॉली है ! बाइक स्कूटी की कीमत 50,000 के इर्दगिर्द थी अब 90,000 और एक लाख के आस पास है!
डिश रीचार्ज 110 रुपए था,
अब 450 रुपए है! गैस सिलेंडर,350 में था जिसमें सब्सिडी भी मिल जाती थी
अब 935 रु है और सब्सिडी भी न के बराबर यानि नहीं !
यातायात नियमों के उल्लंघन के लिए चालान अधिकतम 100 रुपये था अब 10000 तक हो चुका है! रेलवे प्लेटफॉर्म टिकट 5 रुपये,का था अब प्लेटफार्म टिकट 50 रु है ! हर घर की ज़रूरत मोबाइल फोन की इनकमिंग फ्री थी बड़े ही खामोशी से अब इनकमिंग जारी रखने के लिए 49 - 79 रूपये प्रतिमाह अनिवार्य कर दिया गया एटीएम से पैसे निकालने का चार्ज कुछ नहीं था अब 3 बार से ज्यादा निकालने पर हर बार 100 रुपये कर दिया गया और सबसे बड़ी बात देश पर 2.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था। जोकि अब 25 लाख करोड़ हो गया है।
GDP 10 - 11% थी
अब माइनस 23% हो गयी है
बेरोजगारी दर 2% थी
अब 14% से भी ज्यादा हो गयी है! इनके अलावा जीएसटी एफ डी आई व तमाम तरह के टैक्स ने मंहगाई को और विकराल बना दिया है! ये सारी वो बातें हैं जो हमारे आप की जिंदगी का हिस्सा हैं और ज़रूरतें हैं।अब चूंकि चुनाव के ही टाइम पर कई धार्मिक बातें सामने आएंगी और आने भी लगी हैं ! जबकि अजीब लगने वाली बात है कि अभी आपदा के टाइम पर सर्वेश सुरेश रमेश के परिजनों के लिये आक्सीजन गैस चाहिये थी तो फ्री में कुदरत खान, चाँद क़ुरैशी, आसिम मार्शल, सलमान रिज़वी, जैसे लोग दे रहे थे! अब्दुल रहमान, शकील, सुलेमान, को दवाइयों की अस्पताली सुविधाओं की और खून की ज़रूरत पड़ रही थी तो आकाश, रामगोपाल, मोहनिश त्रिवेदी, बलबीर सिंह जैसे लोग इंतज़ाम करा रहे थे! बगैर धर्म पूछे सब एक दूसरे की मदद कर रहे थे !
और जैसे ही सब नार्मल हुआ
तो सालों पहले धर्म बदले हुये लोग नज़र आने लगे दाढ़ी काटने वाले दिखने लगे मस्जिद के कागज़ न होने से मस्जिद अवैध दिखने लगी।
और इन खबरों के ही साथ साथ इस पर उत्तेजक पोस्ट डालने वाले दिखने लगे ढेरों कमेंट्स करने वाले हिन्दू दिखने लगे मुसलमान दिखने लगे!
गौर करने की बात है कमेन्ट करने वाले और ऐसी पोस्ट डालने वाले नफरत फैलाने वाले कौन हैं ?
ये लोग कहाँ से आते हैं ?
पर जहाँ से भी आते हों अब लोगों को दिमाग खुला रखने की ज़रूरत है हक की बात बोलने की ज़रूरत है!
क्योंकि भ्रष्टाचार ने तथा टूटे कारोबार ने और मंहगाई डायन ने आम आदमी को इतना झकझोर दिया है कि पहले कभी एक खुदकुशी कर लेता था, पर अब तो लोग सामूहिक आत्महत्या कर लेते हैं ! स्कूल फीस कोचिंग फीस की वजह से बच्चों का भविष्य मंहगाई से घर का खर्च और हंडिया तक चौपट होने के कगार पर है।
अब पहले नम्बर पर यही मुद्दा
रहे बाकी आस्था और इबादत की बात बाद में!!
*क्योंकि खाली पेट भजन नहीं होता।*
*भूखे रह कर इबादत नहीं होती।*
*लेखक, परवेज़ अख्तर*
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