कहा जाता है कि मां के गर्भ में बच्चे के शरीर में आत्मा इसी छिद्र से प्रवेश करती है।
एक न एक दिन अपने शरीर का त्याग कर हर किसी को जाना है। मौत के बाद की जिंदगी के बारे में जानने को लोग अकसर उत्सुक रहते हैं, लेकिन इस रहस्य को सुलझाना इतना आसान नहीं। हालांकि गरुड़ पुराण में मौत के बाद की जिंदगी के बारे में काफी कुछ बताया गया है। आज इन्हीं में से एक किस्से का जिक्र आज हम आपके सामने करने जा रहे हैं।
यह तो हम सभी जानते हैं कि मृत्यु के बाद आत्मा शरीर को त्याग देती है। क्या आप इस सवाल का जवाब दे सकते हैं कि अंतिम समय के दौरान इंसान के शरीर के किन भागों से आत्मा निकलती है? गरुड़ पुराण में ऐसा बताया गया है कि मनुष्य के शरीर में दस अंग ऐसे होते हैं जो हमेशा खुले हुए रहते हैं।
दो आंख, नाक के दो छिद्र, दो कानों के छिद्र, मुख व मल मूत्र विसर्जन का द्वार और अंत में आता है सिर के बीच का तलवा। बच्चा जब पैदा होता है तब आप सिर को छूकर इस छिद्र को महसूस कर सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मां के गर्भ में बच्चे के शरीर में आत्मा इसी छिद्र से प्रवेश करती है।
अपनी जिंदगी में इंसान जैसा कर्म करता है मौत के समय उसकी आत्मा भी कर्मों के हिसाब से शरीर के इन भागों में से निकलती है। जैसे कि अच्छी आत्माएं सिर के तलवे से निकलती है और वही बुरी आत्माएं गुप्तांगों से निकलती है जिससे उन्हें बेहद कष्ट होता है।
गर्भ में बच्चा :
सात्विक आत्माओं को देवदूतों का समूह अपने संग स्वर्ग लेकर जाते हैं और बुरी आत्माओं को यमदूत बंधनों में बांधकर यमलोक लेकर जाते हैं। शवदाह से पहले आत्मा को दोबारा पृथ्वीलोक में लाया जाता है और उसे उसका अंतिम संस्कार दिखाया जाता है। इस दौरान आत्मा उस शरीर में दोबारा प्रवेश करने के लिए छटपटाती रहती है, लेकिन बंधनों में जकड़े रहने के चलते वह ऐसा कर पाने में असमर्थ रहता है।
शवदाह :
18 पुराणों में से एक गरुड़ पुराण में पाप-पुण्य, स्वर्ग-नर्क के अलावा भी कई सारी बातों के बारे में बताया गया है।इसमें विज्ञान, धर्म, नीति का वर्णन भी विस्तार से किया गया है। इस पवित्र धार्मिक ग्रंथ का पाठ हर किसी को करना चाहिए।
साभार-Jhansi Times
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