अलीगढ़ में जहरीली शराब पीने से होने वाली मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। हमेशा की तरह कुछ अधिकारियों पर गाज़ गिरेगी कुछ लोग निलंबित होंगे कुछ गिरफ्तारियां होंगी! उसके बाद फिर सब कुछ ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा! लोग इस हादसे को भुला देंगे ! पर वो परिवार कभी नहीं भुला पायेगा जो इस हादसे का शिकार हुआ होगा वो पत्नी कभी नहीं भूला पाएगी जिसका सुहाग उजड़ गया होगा, वो बच्चे कभी नहीं भुला पायेंगे जो इस हादसे में यतीम हो गये होंगे!
फिर उसके बाद कोई नया शहर होगा नये मरने वाले होंगे! फिर ज़िन्दगी इसी ढ़र्रे पर चलने लगेगी। क्योंकि जिम्मेदारों के लिये ये एक हादसा भर है जो अकसर होता रहता है।
कितनी बड़ी विडम्बना है कि सिर्फ एक साल में ही उत्तर प्रदेश के 11 ज़िलों में जहरीली शराब के हादसे हो चुके हैं । कयी लोग काल के गाल में समा चुके हैं! उस उत्तर प्रदेश में जहाँ के मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी कड़े फैसले लेने के लिये जाने जाते हैं !
एक नार्मल सी बात है कि हम अपने घर पर अनुशासन को लेकर इतने जागरूक रहते हैं कि क्या अच्छा है।
क्या बुरा है इस बात पर पूरा ध्यान रखते हैं मेरा कौन बच्चा गलत कर रहा है, कौन सही कर रहा है इस बात पर पूरी नजर रहती है! जो गलत कर रहा होता है उसको समझाते हैं और उसको सही रास्ते पर लाने की कोशिश करते हैं घर के माहौल को अच्छा रखने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं
हर वो काम करते हैं जो घर के और घर वालों के हित में हों! जिस तरह से घर के बड़ों की यह जिम्मेदारी होती है कि वह घर के माहौल को अच्छा रखने के लिए सब कुछ अच्छा अच्छा करें !
ठीक उसी तरह से प्रदेश के और देश के मुखिया से भी यह उम्मीद रहती है कि वह देश के लिए देश की जनता के लिए उनके हित के लिए अच्छे से अच्छा करें !
पर यह अच्छा करने के नाम पर वह यह क्यों भूल जाते हैं कि उनके कुछ फरमान और उनकी कुछ सोच और कुछ चीजों पर नकेल न कसना, और सरकारी राजस्व के कुछ फ़ायदे के लिए उन चीजों के लाईसेन्स देते रहते हैं जिसकी वजह से देश के करोड़ो लोग बर्बाद हो जाते हैं, करोड़ों लोग असमय मौत की नींद सो जाते हैं,
*वो क्या है ?* वो "शराब" है
वो गुट्खा है सिगरेट है भाँग है ! इसके अलावा और भी नशे की चीजें हैं!
किसी भी सभ्य आदमी से पूछ लें वो *शराब* को बुरा कहेगा यहां तक शराब पीने वाले से भी पूछें तो वो भी शराब व नशे को बुरा कहेगा!
और कहे भी क्यों ना क्योंकि इसके नतीजे हमेशा बुरे होते हैं! पूरे के पूरे घर बर्बाद हो जाते हैं ! नशे की हालत में आदमी हर वो गुनाह कर डालता है जिसको वह ख्वाब में भी करने की नहीं सोचता ! पर नशे की हालत में बिल्कुल भूल जाता है वह क्या अच्छा कर रहा है या फ़िर क्या बुरा कर रहा है ! यहां तक के उसको अपनी जान तक की फिक्र नहीं रहती है नशे की हालत में कहीं वह नाली में पड़ा होता है कहीं वह सड़क पर पड़ा होता है और कहीं खुद का एक्सीडेंट या दूसरे के साथ एक्सीडेंट कर रहा होता है ! ये नशे की लत ही तो है कि शराब की लालच ने कई लोगों की जाने ली हैं, कुछ दिन पहले की खबर है एक आदमी ने शराब के पैसे ना मिलने पर अपनी पत्नी को लाठी डंडों से पीटकर मार डाला था, ऐसी ही एक और घटना हुयी थी जिसमें नशे की हालत में एक शख्स ने बच्चों के सामने हसिया से पत्नी का सर धड़ से अलग कर दिया था! नशे की ही हालत में लोग एक दूसरे की जान ले लेते हैं, नशे की ही हालत में लोग बलात्कार कर डालते हैं नशे की ही हालत में, वो बड़े से बड़े गुनाह व अपराध कर डालते हैं!
अब ऐसे में नशा करने वालों का क्या होगा क्या कहा जा सकता है उनको !
बहुत बड़ी बात ये है कि जिसको लत लगी है वह तो पिएगा ही और इसलिए भी पिएगा क्योंकि अपने प्रदेश की सरकार अपने राज्य से राजस्व के लिये खुलकर हर कदम पर शराब की दुकानों का लाइसेंस दिए हुए हैं सरकार को इस बात से कोई मतलब नहीं कि कितने ही लोग अपने घर में राशन से मतलब ना कर रखकर सिर्फ शराब से मतलब रखते हैं
उनको इस बात से भी मतलब नहीं है कि किसके घर में चूल्हा जला है और किसके घर में नहीं जला है,
नशे के आदी इंसान को इस बात से मतलब नहीं रहता है कि मेरे घर में मेरे बच्चे भूखे हैं उसको तो सिर्फ़ नशा चाहिए !
क्या हो गया है आखिर यहां सरकारों को ! आखिर क्यों नहीं उसको लोगों को घरों में बुझे हुए चूल्हे दिख रहे हैं
क्यों नहीं नशे की वजह से होती हूयी दुर्घटनाएं दिख रही हैं, क्यों नहीं नशे की वजह से बर्बाद होते हुये घर और परिवार दिख रहे हैं, अच्छा करने का यह मतलब नहीं कि वह एक तरफ अच्छा करें दूसरी तरफ से बुरा करें अच्छे का मतलब सिर्फ़ अच्छा !
आज हम इतने बड़े प्रदेश की सरकार से और देश के प्रधानमंत्री से ये सवाल करना चाहेंगे,कि क्यों नहीं वो इस मामले में कड़ा कदम उठा रहे हैं ? क्यों नहीं वो गुज़रात और बिहार की तरह
उत्तर प्रदेश में या और उन प्रदेशों में जहाँ शराब बन्दी नहीं है, वहां शराब बन्दी करे दे रहे हैं ?
किस बात का लालच है, कितना नुकसान होगा राजस्व को,? क्या ऐसा करने से, बिहार या गुज़रात बर्बाद हो गये ? अभी लाकडाऊन लगने से शराब या मसाले और गुट्खा ना मिलने से कितनी मौतें हों गयीं ?
जबकि सही बात तो ये है कि उन जगाहों पर शराब ना मिलने से जितनी मौते हूई होंगी, उससे कहीं ज़्यादा उत्तर प्रदेश में और उन प्रदेशो में जहाँ, शराब, बिकने और बनने पर कोई पाबन्दी नहीं है, वहां पर शराब पीकर लोगों की मौतें हुयी हैं और होती हैं ! क्योंकि इसी के आड़ में *नकली शराब* बनाने वाले अपना काम कर रहे होते हैं! जब इनसे मौतें होती हैं तो सबकी नजर में आता है!
अपने यहाँ का कानून और सिस्टम ही तो है, कि होटलों में फ़ूड इंस्पेक्टर खाने का सैम्पल लेकर चेक करता है हर त्योहार में खोये से लेकर दूध और खाने के आईटम चेक किये जाते हैं,
और जो हकीकत में नुकसान की चीजें, हैं जैसे शराब, व गुट्खा और सिगरेट जो सही मायनो में बहुत नुकसान देह हैं उन पर कोई सख्ती नज़र नहीं आती है!
ये बेचते और लाइसेंस देते वक्त एक महान काम ज़रूर करते हैं इन समानों के पैकेट पर *कैन्सर पीडित लोगों* की खतरनाक फोटो प्रिन्ट कर के और बिलकुल महीन सा लिखवा देते हैं कि
*इसका सेवन खतरनाक है,*
बस ये इतिश्री करके अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली जाती है, और अपने राजस्व से मतलब रखते हुए, लोगों को मौत के मुंह में ढकेल दिया जाता है !
उसके बाद लाखों की लागत से नशा मुक्ति केंद्र खोले जाते हैं तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है ,और इन सब मामलों में सब से ज़्यादा अजीब बात ये है कि इन सब चीज़ों का इस्तेमाल करने वाला जब बीमार पड़ता है, तो सरकारी अस्पतालों में सरकार इन पर लाखों खर्च करती है!
तम्बाकू जान लेवा है,शराब पीना हानिकारक है ये बताने के लिए भी सरकार विज्ञापन पर लाखों करोड़ो रुपये खर्च करती है!
एक तरफ़ विज्ञापन के माध्यम से लोगों को मना करती है, दूसरी तरफ़ मोटे राजस्व के लिए रेवड़ी की तरह शराब वगैरा के लिए लाईसेन्स बाटती है!
एक तरफ़ पान मसाला बेचा जा रहा है दूसरी तरफ़ रोड पर डिवायडर पर या पब्लिक पैलेस पर थूकने पर 200 ₹ जुर्माने का प्रावधान है
मतलब थूकना भी नहीं है उसको गटकना है और जल्दी बीमार होना है !
आखिर उत्तर प्रदेश सरकार की और केन्द्र सरकार की ऐसी कौन सी मज़बूरी है जिसकी वजह से वो अपने देश और प्रदेश के नौजवानो को, नशे, का आदी बनता देख रहे हैं उनको खोखला होते देख रहे हैं उनको मरता देख रहे हैं!
क्यों नहीं नोट बन्दी की तरह इस नशे के खिलाफ भी कड़ा कदम उठाया जा रहा है!
क्यों नहीं और दूसरे कड़े फैसलों की तरह इसपर कड़ा फैसला लिया जा रहा है!
बहरहाल मुझे उम्मीद है अपने देश के मुखिया माननीय प्रधानमंत्री जी से, और प्रदेश के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री जी से, कि वे नशे के इन कारोबारों को ज़रूर बन्द करायेंगे जिससे करोड़ो लोग और करोड़ो नवजवान असमय, मौत से बच सकेंगे असमय हादसे से बच सकेंगे और करोड़ों परिवार बर्बाद होने से बच सकेंगे!
परवेज़ अख्तर, ब्यूरो चीफ़
मो0-9335911148, 9454786073
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