कोविड उपचार के लिए ओवर प्राइसिंग/अधिक वसूली व ऑक्सीजन की उपलब्ध्ता के सम्बंध में प्रभारी अधिकारी लखनऊ द्वारा ओ0पी0 चौधरी व चरक हास्पिटल का किया गया औचक निरीक्षण

 









-ओ0पी0 चौधरी हास्पिटल के  निरीक्षण में बिल शासन द्वारा निर्धारित पैकेज के अनुसार होता पाया गया। परन्तु बिल में मेडिसिन व अन्य पैथोलॉजी जांचों का विवरण नही पाया गया।

-हास्पिटल सभी मदो को बिल में स्पष्ट रूप से दर्शाए। साथ ही निर्देश दिया कि रोगी से अनावशयक वसूली नही किये जाने के दिये गये निर्देश। 

-प्रभारी अधिकारी द्वारा डिसचार्ज हुए  रोगियों को कॉल करके उनके द्वारा किये गए उपचार के भुगतान का सत्यापन किया गया। 

-हास्पिटल में अनावशयक अत्यधिक फ्लो तेज़ कर के ऑक्सीजन की वेस्टेज होती पाई गई। जिसके सम्बन्ध में प्रभारी अधिकारी द्वारा नाराज़गी व्यक्त की गई। 

-अनावशयक ऑक्सीजन की अधिक खपत दिखाने पर कड़ी वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।

-निर्देश दिये गये  कि जिला प्रशासन हास्पिटल की वास्तविक खपत का निरीक्षण करके अतिरिक ऑक्सीजन को जब्त किया जाए। 

-चरक हास्पिटल के निरीक्षण में  कुल 145 बेड है जिसमे 33 आई0सी0यू0 व अवशेष ऑक्सीजनयुक्त बेड है। परंतु केवल 8 आई0सी0यू0 बेड पर ही कोविड रोगियों का उपचार किया जा रहा है।

-ऑक्सीजन का उपयोग करने वाले रोगियों के सापेक्ष हास्पिटल द्वारा अत्यधिक ऑक्सीजन का उपयोग किया जा रहा है। जिसके सम्बन्ध में प्रभारी अधिकारी द्वारा कड़ी चेतावनी दी गई। 

-जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि हास्पिटल पूर्णतः कोविड हास्पिटल बनाने पर विचार किया जाए क्योंकि हास्पिटल में सभी बेड ऑक्सीजनयुक्त है और लगभग सभी बेड रिक्त है। 

-हास्पिटलो द्वारा अनावशयक रूप से अत्यधिक ऑक्सीजन की खपत दिखा कर अधिक मात्रा में ऑक्सीजन लिया जा रहा है जोंकि बिल्कुल अनुचित है। 

-जिला प्रशासन दोनों हास्पिटलो का आक्सीजन ऑडिट कराना सुनिश्चित कराए और अतिरिक्त ऑक्सीजन को कार्यवाही करते हुए जब्त किये जाने के दिये गये निर्देश। 

-प्रभारी अधिकारी डॉ रौशन जैकब द्वारा मुरारी गैसेज प्राइवेट लिमिटेड का औचक निरीक्षण किया गया। 

-निरीक्षण में सिलेंडर सही मात्रा में भरे हुए पाए गए। 

-निरीक्षण में समाने आया कि चरक, ओ0पी0 चौधरी, मेयो, टिंडर पाम और अपूर्वा हास्पिटल द्वारा प्रतिदिन 200 से अधिक सिलेंडरों का उपयोग किया जा रहा है। परन्तु सभी हास्पिटलो मे वास्तविकता में इतने रोगी ही नही है। 

-संज्ञान में आया कि उक्त हास्पिटलो के द्वारा केवल मुरारी गैसेज से ही नही बल्कि दूसरे प्लांट से भी ऑक्सीजन सिलेंडर लिए जा रहे है। जिसके सम्बन्ध में प्रभारी अधिकारी द्वारा कड़ी नाराजगी व्यक्त की गई

-निर्देश दिया कि डॉक्टर, औषधि निरीक्षक व एक एनेस्थेटिक की कमेटी का गठन किया जाए और सभी हास्पिटलो का ऑक्सीजन की मांग का कोटा निर्धारित किया जाए। 

-साथ ही शहर के 7 ऑक्सीजन प्लांटो को क्षेत्रवार हास्पिटल आवंटित किए जाए।

-साथ ही निर्देश दिया कि अगर किसी प्लांट में किसी वजह से ऑक्सीजन की कोई कमी होती है तो वहां आवंटित हास्पिटलो को उनके लिंक प्लांट से ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए।

-उक्त कमेटी समस्त कोविड हास्पिटलो की डिमांड का चार्ट बनाएगी की किस हास्पिटल में कितने ऑक्सीजन का उपयोग करने वाले रोगी है और उन रोगियों को कितने ऑक्सीजन की आवश्यकता है इस आधार पर हास्पिटलो का कोटा निर्धारित किया जाए। 

-कोटे के आधार पर ही हास्पिटलो को ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाए।

-साथ ही निर्देश दिया कि चरक, ओ0पी0 चौधरी, मेयो, टिंडर पाम व अपूर्वा हास्पिटल का ऑक्सीजन ऑडिट ज़िला प्रशासन द्वारा करना सुनिश्चित कराया जाए। 

-यदि हास्पिटलो द्वारा अत्यधिक ऑक्सीजन की खपत की जाती पाई जाती है तो एपेडेमिक एक्ट के तहत कड़ी कार्यवाही की जाए।

7 मई 2021 लखनऊ। कोविड उपचार के लिए ओवर प्राइसिंग/अधिक वसूली व ऑक्सीजन की उपलब्ध्ता के सम्बंध में प्रभारी अधिकारी लखनऊ डॉ रोशन जैकब द्वारा ओ0पी0 चौधरी व चरक हास्पिटल का औचक निरीक्षण किया गया। सबसे पहले प्रभारी अधिकारी ओ0पी0 चौधरी हास्पिटल पहुँची। प्रभारी अधिकारी द्वारा बिलिंग काउंटर का निरीक्षण किया गया। बिलिंग काउंटर पहुच कर प्रभारी अधिकारी द्वारा डिसचार्ज किए हुए रोगियों के बिल का विवरण मांगे गए जिसका निरीक्षण किया गया। निरीक्षण में बिल शासन द्वारा निर्धारित पैकेज के अनुसार होता पाया गया। परन्तु बिल में मेडिसिन व अन्य पैथोलॉजी जांचों का विवरण नही पाया गया। जिसके सम्बन्ध में निर्देश दिया गया कि हास्पिटल सभी मदो को बिल में स्पष्ट रूप से दर्शाए। साथ ही निर्देश दिया कि रोगी से अनावशयक वसूली नही की जाए। जिसके पश्चात प्रभारी अधिकारी द्वारा डिसचार्ज हुए  रोगियों को कॉल करके उनके द्वारा किये गए उपचार के भुगतान का सत्यापन किया। 

उक्त कर पश्चात प्रभारी अधिकारी द्वारा हास्पिटल के ऑक्सीजन स्टोर रूम का निरीक्षण किया। प्रभारी अधिकारी द्वारा लॉग बुक का गहन परीक्षण किया। परीक्षण में संज्ञान में आया कि हास्पिटल द्वारा प्रतिदिन 200 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडरों का उपयोग किया जाता पाया गया। परन्तु हास्पिटल में रोगियों के सापेक्ष बहुत अधिक मात्रा में ऑक्सीजन का उपयोग होता पाया गया, जो कि अनुचित है। संज्ञान में आया कि अनावशयक अत्यधिक फ्लो तेज़ कर के ऑक्सीजन की वेस्टेज होती पाई गई। जिसके सम्बन्ध में प्रभारी अधिकारी द्वारा नाराज़गी व्यक्त की गई और कड़े निर्देश दिए कि अनावशयक ऑक्सीजन की अधिक खपत दिखाने पर कड़ी वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। साथ ही निर्देश दिया कि जिला प्रशासन हास्पिटल की वास्तविक खपत का निरीक्षण करके अतिरिक ऑक्सीजन को जब्त किया जाए। 

उक्त के पश्चात प्रभारी अधिकारी चरक हास्पिटल पहुँची। हास्पिटल द्वारा बताया गया कि उनके कुल 145 बेड है जिसमे 33 आई0सी0यू0 व अवशेष ऑक्सीजनयुक्त बेड है। परंतु केवल 8 आई0सी0यू0 बेड पर ही कोविड रोगियों का उपचार किया जा रहा है और लगभग सभी ऑक्सीजनयुक्त बेड भी खाली है। ऑक्सीजन का उपयोग करने वाले रोगियों के सापेक्ष हास्पिटल द्वारा अत्यधिक ऑक्सीजन का उपयोग किया जा रहा है। जिसके सम्बन्ध में प्रभारी अधिकारी द्वारा कड़ी चेतावनी दी गई के हास्पिटल द्वारा अत्याधिक खपत दिखाना बन्द किया जाए और जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि उक्त हास्पिटल पूर्णतः कोविड हास्पिटल बनाने पर विचार किया जाए क्योंकि हास्पिटल में सभी बेड ऑक्सीजनयुक्त है और लगभग सभी बेड रिक्त है। 

प्रभारी अधिकारी द्वारा बताया कि संज्ञान में आया है कि हास्पिटलो द्वारा अनावशयक रूप से अत्यधिक ऑक्सीजन की खपत दिखा कर अधिक मात्रा में ऑक्सीजन लिया जा रहा है जोंकि बिल्कुल अनुचित है। जिसके सम्बन्ध में निर्देश दिया कि जिला प्रशासन दोनों हास्पिटलो का आक्सीजन ऑडिट कराना सुनिश्चित कराए और अतिरिक्त ऑक्सीजन को कार्यवाही करते हुए जब्त किया जाए। 

 ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित कराने व हास्पिटलो द्वारा वास्तविकता में कितना ऑक्सीजन उपयोग किया जा रहा है इसके सत्यापन के उद्देश्य से प्रभारी अधिकारी डॉ रौशन जैकब द्वारा मुरारी गैसेज प्राइवेट लिमिटेड का औचक निरीक्षण किया गया। प्रभारी अधिकारी द्वारा फिलिंग स्टेशन का निरीक्षण किया गया। साथ ही भरे हुए सिलेंडर का वजन करा कर सिलेंडर की मात्रा का सत्यापन कराया गया। निरीक्षण में सिलेंडर सही मात्रा में भरे हुए पाए गए। उक्त के पश्चात प्रभारी अधिकारी द्वारा प्लांट से किस किस हास्पिटल को कितना ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जा रहा है इसका निरीक्षण किया गया। 

निरीक्षण में समाने आया कि चरक, ओ0पी0 चौधरी, मेयो, टिंडर पाम और अपूर्वा हास्पिटल द्वारा प्रतिदिन 200 से अधिक सिलेंडरों का उपयोग किया जा रहा है। परन्तु सभी हास्पिटलो मे वास्तविकता में इतने रोगी ही नही है के इतने ऑक्सीजन का उपयोग किया जा सके। साथ ही संज्ञान में आया कि उक्त हास्पिटलो के द्वारा केवल मुरारी गैसेज से ही नही बल्कि दूसरे प्लांट से भी ऑक्सीजन सिलेंडर लिए जा रहे है। जिसके सम्बन्ध में प्रभारी अधिकारी द्वारा कड़ी नाराजगी व्यक्त की गई और निर्देश दिया कि डॉक्टर, औषधि निरीक्षक व एक एनेस्थेटिक की कमेटी का गठन किया जाए और सभी हास्पिटलो का ऑक्सीजन की मांग का कोटा निर्धारित किया जाए, साथ ही शहर के 7 ऑक्सीजन प्लांटो को क्षेत्रवार हास्पिटल आवंटित किए जाए।  साथ ही निर्देश दिया कि अगर किसी प्लांट में किसी वजह से ऑक्सीजन की कोई कमी होती है तो वहां आवंटित हास्पिटलो को उनके लिंक प्लांट से ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित कराई बजाए। 

प्रभारी अधिकारी ने बताया कि उक्त कमेटी समस्त कोविड हास्पिटलो की डिमांड का चार्ट बनाएगी की किस हास्पिटल में कितने ऑक्सीजन का उपयोग करने वाले रोगी है और उन रोगियों को कितने ऑक्सीजन की आवश्यकता है इस आधार पर हास्पिटलो का कोटा निर्धारित किया जाए और कोटे के आधार पर ही हास्पिटलो को ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाए। साथ ही निर्देश दिया कि चरक, ओ0पी0 चौधरी, मेयो, टिंडर पाम व अपूर्वा हास्पिटल का ऑक्सीजन ऑडिट जिला प्रशासन द्वारा कराया जाएगा और यदि हास्पिटलो द्वारा अत्यधिक ऑक्सीजन की खपत की जाती पाई जाती है तो एपेडेमिक एक्ट के तहत कड़ी कार्यवाही की जाए।

सम्पर्क सूत्र धर्मवीर खऱे।



Comments