यूपी के बीजेपी नेताओं के लिए सिरदर्द बनेगा अप्रैल में पंचायत चुनाव?

यूपी के पंचायत चुनाव उसी समय हो रहे होंगे, जब पश्चिम बंगाल सहित देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव अपने पूरे उफान पर होगा. बंगाल जीतने के लिए बीजेपी ने यूपी के पार्टी संगठन महामंत्री सुनील बंसल और डिप्टी सीएम केशव मौर्य को अहम जिम्मेदारी सौंप रखी है जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्टार प्रचार की भूमिका में होंगे. ऐसे में यूपी के बीजेपी नेताओं के लिए अप्रैल में पंचायत चुनाव किसी सिरदर्द से कम नहीं होगा. 

उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव की डेडलाइन हाईकोर्ट ने तय कर दी है. अदालत ने 17 मार्च तक आरक्षित सीटों का निर्धारण और 30 अप्रैल तक पंचायत चुनाव करा लिए जाने का आदेश दिया है. ऐसे में यूपी के पंचायत चुनाव उसी समय हो रहे होंगे, जब पश्चिम बंगाल सहित देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव अपने पूरे उफान पर होगा. बंगाल जीतने के लिए बीजेपी ने यूपी के पार्टी संगठन महामंत्री सुनील बंसल और डिप्टी सीएम केशव मौर्य को अहम जिम्मेदारी सौंप रखी है जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्टार प्रचार की भूमिका में होंगे. ऐसे में यूपी के बीजेपी नेताओं के लिए अप्रैल में पंचायत चुनाव किसी सिरदर्द से कम नहीं होगा. 

बंगाल के मोर्चे पर यूपी के तीन दिग्गज

बीजेपी ने बंगाल की सियासी जंग फतह करने के लिए यूपी के कई दिग्गज नेताओं को मोर्चे पर लगा रखा है. यूपी में अपनी संगठनात्मक क्षमता का लोहा मनवा चुके बीजेपी प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल को अहम जिम्मेदारी दी गई है. पश्चिम बंगाल में उनके कंधों पर चार दर्जन से अधिक विधानसभा सीटों पर कमल खिलाने की जिम्मेदारी है. सुनील बंसल के जिम्मे कोलकाता जैसा महत्वपूर्ण क्षेत्र भी है, जहां से पार्टी बहुत ज्यादा उम्मीदें लगाकर बैठी है. 

पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में हिंदीभाषी क्षेत्रों के लोग भी रहते है, इनमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों के वाशिदों की तादात अच्छी खासी है. इसी समीकरण को देखते हुए बीजेपी ने यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य को भी बंगाल में उतारा है. उनके कंधों पर हावड़ा, उलबेरिया, सिरामपुर, हुगली, अरामबाग जिले की आने वाली करीब 30 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी गई है. इन सीटों पर बीजेपी को जिताने के लिए केशव मौर्य लगातार बंगाल का दौरा कर रहे हैं. 

बंगाल में पूर्वांचली वोटरों को देखते हुए बीजेपी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ एक बार फिर से पश्चिम बंगाल चुनाव में स्टार प्रचारक के तौर पर दिखाई देंगे. बीजेपी लगातार पश्च‍िम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर मुस्ल‍िमों के तुष्टीकरण का आरोप लगा रही है. इस लिहाज से फायर ब्रांड नेता की छवि बना चुके योगी आदित्यनाथ बीजेपी के लिए ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने बंगाल में काफी आक्रामक प्रचार किया था, जिसका फायदा भी पार्टी को मिला था. बंगाल ही नहीं बल्कि सीएम योगी असम, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्य में भी बीजेपी के लिए प्रचार रण में उतर सकते हैं. 

यूपी में 30 अप्रैल तक पंचायत चुनाव

वहीं, यूपी में जल्द चुनाव कराने को लेकर हाई कोर्ट के रुख को देखते हुए आयोग को 30 अप्रैल, 2021 तक चुनावी प्रक्रिया पूरी करने के लिए आरक्षण के निर्धारण के साथ पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी करनी होगी. हालांकि, उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव पिछले साल 25 दिसंबर से पहले ही हो जाने चाहिए थे, लेकिन कोरोना संकट के चलते टले चुनाव को अब और ज्यादा दिनों तक नहीं टाला जा सकेगा. 

हाईकोर्ट ने गुरुवार को पंचायत चुनाव से संबंधित याचिका के फैसले में साफ कहा है कि अब चुनाव को लेकर किसी तरह की टालमटोल नहीं हो सकती है. ऐसे में अब चुनाव आयोग को हरहाल में 30 अप्रैल तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी ही करनी है, लेकिन उससे पहले 17 मार्च तक राज्य सरकार पंचायत के पदों का आरक्षण जारी करना होगा. इस तरह आरक्षण की लिस्ट आते ही चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा.

बीजेपी की पंचायत चुनाव में तैयारी

बता दें कि उत्तर प्रदेश के कुल 59,163 ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्य के चुनाव होने है. इसके अलावा 823 ब्लॉक के क्षेत्र पंचायत सदस्य और 75 जिले के 3200 जिला पंचायत सदस्य पदों पर चुनाव होने हैं. इस बार सूबे के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बीजेपी ने अपने सिंबल या फिर पार्टी अधिकृत प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है, जिसकी तैयारी भी पार्टी लंबे समय से करने में जुटी है. बीजेपी पंचायत चुनाव के जरिए गांव स्तर पर नेतृत्व तैयार करने के लिए ग्राम प्रधान तक के चुनाव लड़ने की रणनीति बना रखी है. 

वहीं, हाईकोर्ट के डेडलाइन तय करने के बाद यूपी में पंचायत चुनाव की एक तरफ अधिसूचना जारी होगी तो उसी समय पश्चिम बंगाल सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव भी उसी दौरान घोषणा हो सकती है. बंगाल विधानसभा का कार्यकाल 30 अप्रैल तक ही है, जिसके चलते साफ है कि मियाद पूरी होने से पहले चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. ऐसे में यूपी  के दिग्गज बीजेपी नेताओं के सामने सूबे के पंचायत चुनाव और बंगाल के विधानसभा चुनाव के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती होगा. हालांकि, यूपी पंचायत चुनाव में कोई रैली और बड़ी जनसभाएं नहीं होनी है, लेकिन रणनीति तौर पर पार्टी को जिताने की अहम जिम्मेदारी होती है. 

साभार-आजतक



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