बलिया। संकल्प के रंगमंचीय सफर के 15 वीं वर्षगांठ पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य समारोह संकल्प रंगोत्सव के पहले दिन 27 दिसंबर को कलक्ट्रेट स्थित ड्रामा हाल में देर शाम दो नाटकों का शानदार मंचन हुआ। कड़ाके की ठंड के बावजूद सैकड़ों दर्शकों की उपस्थिति समारोह की सफलता को बयां कर रही थी। मंच पर पहली प्रस्तुति दस्तक पटना द्वारा सुप्रसिद्ध रंग निर्देशक पुंज प्रकाश के निर्देशन में आशुतोष विज्ञ का एकल अभिनय शानदार रहा। हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित लंबी कविताओं में से एक पटकथा को आशुतोष विज्ञ ने अपने संवाद और देह भाषा से मंच पर जीवंत कर दिया। भारतीय जनमानस के शोषण चक्र को क्रूरता पूर्वक उजागर करता और लोगों को सोचने समझने और विचार युक्त होकर सामाजिक विसंगतियों को दूर करने की प्रेरणा देता यह एकल नाटक लोगों के दिलों दिमाग पर छा गया। आशुतोष विज्ञ की यह प्रस्तुति इस मायने में भी शानदार रही कि 1 घंटे तक शरीर पर बिना किसी कपड़े के सिर्फ धोती पहनकर मंच पर अभिनय करते रहे और वहीं लोग पूरे गरम कपड़े में भी ठिठुरन महसूस कर रहे थे। अभिनेता की ताकत रही कि लोग टस से मस नहीं हुए। इस प्रस्तुति के नेपथ्य में आशुतोष कुमार, कृष्णा, चंदन, अमन, राकेश, नीरज, कुंदन की भूमिका सराहनीय रही।
पहले दिन की दूसरी प्रस्तुति सेतु सांस्कृतिक केंद्र वाराणसी की रही "हादसे के बाद" प्रतिमा सिन्हा द्वारा लिखित इस नाटक को निर्देशित किया था सलीम राजा ने। हादसे के बाद एक बहुत ही संवेदनशील नाटक था जो एक लड़की के साथ में बलात्कार को केंद्र में रखकर लिखा गया है। एक लड़की के साथ में बलात्कार के बाद उसके परिवार पर उसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव और संवेदनशीलता को नाटक में बहुत ही जीवंतता के साथ उकेरा गया था। एक काली रात में हुआ यह हादसा न सिर्फ भुक्तभोगी लड़की बल्कि पूरे परिवार की जिंदगी को बदल कर रख देता है। एक दूसरे की पीड़ा को समझते हुए भी एक दूसरे के दुख के न बांट पाने की छटपटाहट और खुद पर गुजरे हादसे के प्रति तीव्र आक्रोश से जूझते सभी किरदार एक तरफ अपने सवालों के जवाब टूटते हैं वहीं दूसरी तरफ समाज और पुलिसिया कार्यवाइयों के प्रति सवाल भी उठाते हैं। नाटक में भुक्तभोगी लड़की के किरदार में चित्रा वर्मा, पिता राकेश वर्धन, मां राज लक्ष्मी मिश्रा, बहन प्रियंका मेहरोत्रा,भाई सत्यम मिश्र इस्पेक्टर अमित मिश्रा अपनी-अपनी भूमिकाओं से काफी प्रभावित किये। यह नाटक बलात्कार के बाद होने वाली कानूनी कार्यवाइयों को कटघरे में खड़ा करते हुए इसे संवेदनशील बनाने की मांग करता हुआ बहुत ही प्रभावशाली रहा।
इन दोनों नाट्य मंचन से पहले बलिया के जिलाधिकारी श्री हरि प्रताप शाही जी ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया और अपने संबोधन में कहा कि बलिया में सांस्कृतिक जागरूकता की मशाल को जिस तरीके से संकल्प ने जलाया है वह अपने आप में अनुकरणीय है। रंगमंच की विधा को बचाए रखना और उसे नई पीढ़ी तक स्थानांतरित करना अपने आप में एक महान कार्य है।
संकल्प के सचिव आशीष त्रिवेदी इसके लिए बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि नाटक हमारी संवेदनाओं को जगाता है। हमारे अंदर संस्कार पैदा करता है । हमें मनुष्य होने की तमीज सिखाता है। जिलाधिकारी महोदय पूरे कार्यक्रम के दौरान उपस्थित रहे और कलाकारों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किए कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर यशवंत सिंह ने किया नाट्य प्रस्तुति के बाद जिले के तमाम इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के पत्रकारों को संकल्प संस्था द्वारा स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्रम देकर के सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से श्रीमती शालिनी श्रीवास्तव, डा० कादम्बिनी सिंह रामजी तिवारी, प्रोफेसर सुभाष सिंह, डा० शत्रुघ्न पांडे, चंद्रशेखर उपाध्याय ,समीर पांडे, अजय पांडे एडवोकेट, अशोक जी पत्रकार ,विश्व रंजन सिंह, उ० प्र० मिनिस्ट्रियल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनिल गुप्ता, कौशल कुमार उपाध्याय, पृथ्वी राज सिंह, इत्यादि की गरिमामयी उपस्थिति रही।
आयोजन को सफल बनाने में सांस्कृतिक प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ अशोक कंचन जमालपुरी, व्यवस्थापक अरविंद गुप्ता, सोनी, ट्विंकल गुप्ता, आनंद कुमार चौहान अर्जुन कुमार रावत, शैलेंद्र मिश्र, गोविंदा, अखिलेश, रोहित, तारकेश्वर पासवान, पुष्पा, विशाल, विवेक, राहुल, अभिषेक, प्रकाश, दीपक इत्यादि की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कार्यक्रम का संचालन डॉ राजेंद्र भारती ने किया जबकि कलाकारों सहित आगंतुकों के प्रति संकल्प के सचिव आशीष त्रिवेदी ने आभार व्यक्त किया और आगामी दोनों दिन की प्रस्तुतियों को देखने के लिए अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होने की अपील भी किया।
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