भगवान भोलेनाथ के कल्याणकारी रूप रंग में गोते लगाने का महीना है सावन : मनोज कुमार सिंह
हमारी सनातनी परंपराओं, पौराणिक मान्यताओं, अनगिनत बहुभाषाई साहित्यिक सर्जनाओं और लोक मानस में व्याप्त धारणाओं के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव शंकर को समर्पित और भगवान शिव के शिवत्व अर्थात कल्याणकारी स्वरुप में पूरी तरह डूबने उतरने और गोते लगाने का महीना है। हमारी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान …
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जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न हो रही हैं सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय समस्याएं : डॉ० गणेश पाठक
बलिया। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य एवं समग्र विकास शोध संस्थान बलिया के सचिव पर्यावरणविद् डॉ. गणेश कुमार पाठक ने बताया जनसंख्या वृद्धि भौतिक एवं सामाजिक पर्यावरण पर विशेष प्रभाव डालता है. किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या वृद्धि उ…
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‘एक ही छत के नीचे हो, अब सब धर्मों की प्रार्थना’
अब समय आ गया है जबकि सभी धर्मों के लोगों को एक ही स्थान पर एकत्रित होकर एक ही परमपिता परमात्मा की प्रार्थना करनी चाहिए। अर्थात एक ही छत के नीचे हो-अब सब धर्मों की प्रार्थना’ हो। अज्ञानता के कारण आज एक ही परमपिता परमात्मा की ओर से युग-युग में आये अवतारों को अलग-अलग मानने के कारण ही धर्म के नाम पर चा…
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*मन मस्तिष्क*
क्रोध की ज्वाला से तुम अपना, तोड़ देते हो मस्तिष्क की कड़ियाँ। विश्वास, संयम  है बनाता, मनोरोग से सारी दूरियाँ। अंतर्मन की कड़वाहट से, बहने लगता रक्त का लावा। गर जिये तपिश को सहकर, मनोविकार रह जायेगा आधा। मन मस्तिष्क के इस आँगन में, सूना लगेगा मन का उपवन। खुश रहकर तुम फूल खिलाओ, मन भी हो जाएगा चितवन…
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योग एक क्रिया और भारतीय दर्शन
व्यायाम का एक प्राचीन रूप जो भारतीय समाज में हजारों साल पहले विकसित हुआ था और तब से लगातार इसका अभ्यास किया जा रहा है। इसमें किसी व्यक्ति को अच्छे आकार में रखने के लिए और बीमारियों और अक्षमताओं के विभिन्न रूपों से छुटकारा पाने के लिए विभिन्न प्रकार के अभ्यास शामिल हैं। यह ध्यान के लिए एक मजबूत तरीक…
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अग्निवीर योजना 2022-विरोध कितना सार्थक : राजेश कुमार सिंह
अग्निपथ योजना 2022 की संभवनाएं,अग्निवीर व संशय भारत के शोरगुल से परिपूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था में लगभग प्रत्येक क्रन्तिकारी परिवर्तन का विरोध भी आज-कल क्रांतिकारी हो चला है। इन विरोधों की प्रकृति भी अब कितनी सकरात्मक रह गयी है यह बहश का विषय है।विगत दिनों, अगर स्प्ष्ट कहें तो 2014 के  बाद भारत म…
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भारत मे समाजवाद का इतिहास, स्वरूप और भविष्य : मनोज कुमार सिंह
आध्यात्मिक चिंतन और मानवता वादी दृष्टिकोण से भारत में समाजवाद का विचार अत्यंत प्राचीन समय से चिंतन, मनन और विचार-विमर्श में रहा हैं। ॠग्वेद की ऋचाओं और बौद्ध धर्म ग्रंथों में विशेष रूप से धम्मपद में समाजवाद का दर्शन मिलता है। इसके अतिरिक्त क्रांतिद्रष्टा कबीर सहित अधिकांश मध्ययुगीन भक्ति आन्दोलन के…
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लोकतंत्र महज मस्तक गणना नहीं बल्कि जिन्दा और जागरूक मस्तिष्कों से फलता-फूलता हैं : मनोज कुमार सिंह
लोकतंत्र, जनतंत्र और प्रजातंत्र, इन तीनों शब्दों का निहितार्थ हैं जनता का राज। लोकतंत्र में आम जनमानस स्वतन्त्रता और समानता का एहसास करते हुए अपनी इच्छा के अनुरूप एक निश्चित अवधि के लिए अपना शासक चुनता है। देश के जनमानस की इच्छा, अभिव्यक्ति और अभिमत को ही राजनीति विज्ञान की भाषा में जनमत कहा जाता ह…
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घटता भू-गर्भ जलस्तर : भविष्य में घोर जलसंकट का संकेत : डाॅ0 गणेश पाठक
10 जून को भू-गर्भ जल दिवस पर विशेष :-  बलिया। अमरनाथ मिश्र पी० जी० कालेज दूबेछपरा, बलिया के  पूर्व प्राचार्य तथा समग्र विकास एवं शोध संस्थान बलिया के सचिव एवं जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के पूर्व शैक्षणिक निदेशक पर्यावरणविद् डाॅ० गणेश कुमार पाठक ने विश्व भू-गर्भ जल दिवस के अवसर पर एक भेंट…
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गंगा दशहरा पर विशेष : सावधान! असंतुलित होती जा रही है गंगा की सम्पूर्ण पारिस्थितिकी : डाँ० गणेश पाठक (पर्यावरणविद्)
बलिया। गंगा मात्र जल स्रोत के रूप में हमारे लिए जल संसाधन ही नहीं है, बल्कि गंगा हमारी माँ है और माँ हमारा भरण-पोषण करके समारा समग्र विकास करती है। इसलिए माँ गंगा हमारा समग्र विकास करती है। गंगावासियों की जीवन की कहानी माँ गंगा से शुरू होकर माँ गंगा में ही समाप्त होती है। माँ गंगा हमारी सभ्यता एवं …
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