सर्वश्रेष्ठ कल्याणकारी राज्य का दिग्दर्शन होता हैं मर्यादा पुरुषोत्तम राम के राम राज्य में
युगों-युगों के महानायक मर्यादा पुरुषोत्तम राम के अवतरण दिवस हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं लंका नरेश लंकेश को पराजित करने के उपरांत चौदह वर्षीय वनवासी जीवन की अनुभूतियों की थाती को हृदय में समाहित किये हुए वापस अयोध्या आकर जिन सिद्धांतों और विचारों के आधार पर मर्यादा पुरुषोत्तम ने शासन व्यवस्था स्थापित…
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अपने दौर की रूढियों कुरीतियों और दकियानुसी ख्यालों से टकराने वाले कलमकार थे राहुल सांस्कृत्यायन
रगो में जब सच्चाई का लहू दौडता है तो कलम अपने दौर की रूढियों, कुरीतियों, दकियानुसी ख्यालों और शासन की तानाशाही नीतियों से टकरा ही जाती हैं। ऐसी ही कलम के विरले सिपाही थे महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन। साहित्य और अदब की उर्वरा भूमि आजमगढ़ में पैदा हुए राहुल सांस्कृत्यायन सुकरात गैलीलियो और कोपरनिकस की…
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दहेज : कड़वा है लेकिन सच है
जब कोई औरत जिस्म बेचती हैं तो उसे वैश्या नाम दिया जाता है !! और वही कोई दहेज लेकर शादी करता है !! तो वो भी तो खुद को बेचता है !! तो उसे क्या नाम दिया जाय !! अफसोस हमारे देश में दहेज के खिलाफ कितने कानून बने  लेकिन सब कानुन सिर्फ फाइलो तक ही बन्द हो कर रह गया !! और दहेज लेने वाले अपनी मनमानी खुब तेज…
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मानववाद के लिए सबसे बड़ा खतरा है निरंतर बढ़ती जनसंख्या : आलोक प्रताप सिंह
वर्तमान समय को अगर देखा जाए तो दुनिया में सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है जनसंख्या विस्फोट वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव सभ्यता की उत्पत्ति को लगभग 130000 साल से लेकर 160000 साल हो चुके हैं। हमें दुनिया की जनसंख्या को 100 करोड़ के आंकड़े पार करने में डेढ़ लाख साल लगे सन् 1804 में दुनिया की आबादी न…
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देश में आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए जरूरी है राष्ट्रवादी विचारधारा : आलोक प्रताप सिंह
वैसे देखा जाए तो लोगों का समूह इतिहास, परंपरा, संस्कृति एवं बोली भाषा के आधार पर अपने आप को विभाजित करता है। इन्हीं विचारों से लोगों को समझ में आया कि अब एक निर्धारित क्षेत्रीय सीमा की आवश्यकता है, जिसमें आपसी सामंजस्य के साथ स्वयं का संप्रभु राष्ट्र के निर्माण की परिकल्पना की जाए। हालांकि दुनिया म…
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भविष्य में जल संकट का संकेत, करने होंगे संरक्षण के उपाय : डॉ0 गणेश पाठक
विश्व जल दिवस पर विशेष :- अमरनाथ मिश्र पीजी कालेज दूबेछपरा, बलिया के प्राचार्य तथा "समग्र विकास एवं शोध संस्थान बलिया" के सचिव पर्यावरणविद् डॉ गणेश पाठक ने बताया कि पृथ्वी तल के नीचे स्थित किसी भू-गर्भिक स्तर की सभी रिक्तियों में विद्यमान जल को भू-गर्भ जल कहा जाता है। अपने देश में लगभग 30…
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दलगत राजनीति से उपर उठकर लिखा विचार।
अंतिम कतार में खड़े लोगों के हक हूकूक की लडाई ईमानदारी से लडने वाले उमाशंकर सिंह को जीत हार्दिक शुभकामनाएं।  दलित दमित पददलित पदक्रमित पदच्युत शोषित वंचित तिरस्कृत बहिष्कृत भूखे नंगे तथा सदियों से सफेद पोश रहनुमाओ द्वारा लुटे-पिटे अंतिम कतार में खड़े लोगों की लडाई ईमानदारी से लडने वाले उमा शंकर सिं…
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आंगनवाड़ी आशा बहनों रसोइया और अन्य स्कीम वर्कर्स को मिलना चाहिए राज्य कर्मचारी का दर्जा
कंस रूपी कुपोषण से अनगिनत बच्चों को काल-कवलित होने से बचाने, संतुलित आहार और पोषक तत्वों की जानकारी के अभाव में कुपोषण की शिकार अनगिनत माताओं का जीवन बचाने तथा निर्धन और निम्न आय वर्ग के शिशुओं का प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने लायक बाल मन और मस्तिष्क विकसित करने के लिए निरन्तर प्रयास करने वाली ऑगनवाडी…
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष : ‘नारी’ मानव जाति की रचनाकार!
(अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस - 8 मार्च पर विशेष लेख) (1) स्त्री के बिना परिवार, समाज और राष्ट्र का निर्माण संभव नहीं है :- अपने जन्म के पहले से ही अपने अस्तित्व की लड़ाई को लड़ती हुई नारियां इस धरती पर जन्म लेने के बाद भी अपनी सारी जिंदगी संघर्षों एवं मुश्किलों से सामना करते हुए समाज में अपनी एक अलग …
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चट्टी चौराहों पर चुनावी चर्चा से गायब है गरीबी जैसे चुनौतीपूर्ण मुद्दे
गरीबी अभिशाप नहीं बल्कि मानव निर्मित षड्यंत्र है : महात्मा गाँधी   स्वाधीनता उपरांत गरीबी भारत में एक प्रमुख चुनौती रही हैं जो कमोबेश आज भी एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है। इसलिए आमजनता को चट्टी चौराहों पर चुनावी चर्चा के दौरान जातिवादी समीकरणों की जोड़-तोड करने के बजाय गरीबी भूखमरी और कुपोषण जैसी चुन…
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भारतीय संविधान सारे विश्व में ‘‘विश्व एकता की प्रतिबद्धता के कारण अनूठा है!, सदियों से प्रतीक्षा थी जिसकी वह समय अब आ गया है
गणतंत्र दिवस 26 जनवरी पर विशेष लेख :- (1) भारत की आजादी 15 अगस्त 1947 के बाद 2 वर्ष 11 माह तथा 18 दिन की कड़ी मेहनत एवं गहन विचार-विमर्श के बाद भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 को आधिकारिक रूप से अपनाया गया। इस दिन भारत एक सम्पूर्ण गणतान्त्रिक देश बन गया। तब से 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस के रूप …
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उत्कट देशभक्त, कुशाग्र बुद्धि और साम्राज्यवाद के प्रखर विरोधी थे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि, गम्भीर उत्कट देशभक्ति और भारत सहित तीसरी दुनिया का निर्ममता से शोषण करने वाले निर्लज्ज ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध तीक्ष्ण और प्रखर विरोध नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के व्यक्तित्व का सारतत्व था। अपने आरम्भिक शैक्षणिक जीवन से लेकर कोलकाता विश्वविद्यालय में अध्ययन तक एक विद्या…
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अपनी आत्मा का विकास करना ही हमारे जीवन का परम उद्देश्य!
(1) एक झोली में फूल भरे हैं एक झोली में कॉटे! कोई कारण होगा?:- विश्व में वही परिवार, समाज तथा राष्ट्र उन्नति करता है, जिनके नागरिक कड़ी मेहनत तथा ईमानदारी से निरन्तर अपनी नौकरी या व्यवसाय करते हुए अपनी आत्मा का विकास करते हैं। इसके विपरीत जिन देशों के नागरिक ऐसा नहीं करते वो कही न कहीं अपने जीवन के…
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