तिरस्कार को सकारात्मक अर्थ में ग्रहण करने से होता हैं व्यक्तित्व का परिष्कार : मनोज कुमार सिंह
प्रायः तिरस्कार को बोली-भाषा, आचरण-व्यवहार, शिष्टाचार और साहित्यिक समझ-बूझ और समझदारी में नकारात्मक दृष्टि से ग्रहण किया जाता है। भावाभिव्यक्ति, सामाजिक संबंधों और आम जन-जीवन में तिरस्कार को अपमानजनक आचरण का परिचायक  समझा जाता हैं। परन्तु कदाचित तिरस्कार के कारण मर्माहत हृदयों ने तिरस्कार के फलस्वर…
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‘प्रार्थना’ परमपिता परमात्मा से जुड़ने का सबसे सशक्त माध्यम है!
शरीर रूपी यंत्र के माध्यम से हमें ईश्वरीय आज्ञाओं का पालन करना चाहिए:-  परमात्मा द्वारा दिये गये शरीर रूपी यंत्र के माध्यम से हमें ईश्वरीय आज्ञाओं का पालन करना चाहिए। परमात्मा कहते हैं कि तुम्हें जो आँखें दी हैं, वे सुन्दर व ईश्वरीय सपने देखने के लिए दी हैं। इसलिए व्यर्थ की चीजें हम अपनी इन आँखों…
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योगीराज श्री कृष्ण का हर स्वरूप ज्ञान, भक्ति और कर्म संगम है
मीरा के गिरधर नागर, राधा के मुरली मनोहर, सूरदास और रसखान के नटखट श्याम और यशोदा के कान्हा, लीलाधारी नन्द लाल और विप्र सुदामा के बालसखा इत्यादि विविध रूपों में  वर्णित भारतीय सभ्यता और संस्कृति के उन्नायक और पथ प्रदर्शक भगवान श्रीकृष्ण को भारतीय जनमानस बडी श्रद्धा से उनके जन्मोत्सव पर स्मरण करता है।…
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बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय, जो दिल ढूँढा आपना मुझसा बुरा न होय.....
अंधविश्वासो पाखंडो और मध्ययुगीन बर्बरता पर अपनी रचनाओं के माध्यम से करारा प्रहार करने वाले महात्मा कबीर ने उपरोक्त पंक्तियाँ अनायास या  फक्कडी मिजाज में नहीं कही थी बल्कि यह कबीर का गम्भीर,गहन और गहरा शोध था। इन पंक्तियों का शाब्दिक अर्थ यह है कि-अगर स्वयं के व्यक्तित्व, कृतित्व और चरित्र का निष्पक…
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जिन्दगी एक भोर है सूरज की तरह प्रकाश बिखेरते रहे!
(1) सूरज की तरह प्रकाश बिखेरते रहे :- होके मायूस ना यूँ शाम की तरह ढलते रहिए, जिन्दगी एक भोर है सूरज की तरह प्रकाश बिखेरते रहे। ठहरोगे एक पाँव पर तो थक जाओगे, धीरे-धीरे ही बेशक, सही राह पर चलते रहिए। कर्म करने से हार या जीत कुछ भी मिल सकती हैं, लेकिन कर्म न करने से केवल हार ही मिलती है। क्यों…
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इक्कीसवीं सदी के बदलते भारत के वास्तविक शिल्पकार थे राजीव गांधी : मनोज कुमार सिंह
सूचना क्रांति के जनक राजीव गाँधी को जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं :- "जो लफ्फाजी करता है वह काम नहीं करता और जो काम करता है वह लफ्फाजी नहीं करता।" यह कहावत राजीव गाँधी के व्यक्तित्व और कृतित्व को शत प्रतिशत चरितार्थ करती हैं।  भारतीय इतिहास में सबसे कम उम्र में प्रधानमंत्री बनन…
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धर्म जाति और सामाजिक समीकरणों से ऊपर उठकर सृजन रचना निर्माण और विकास की राजनीति में विश्वास करते थे कल्पनाथ राय
सरयू और घाघरा के निर्मल जल से अभिसिंचिंत वनअवध की माटी के सुप्रसिद्ध गाँव सेमरी जमालपुर में पैदा हुए विकास पुरुष कल्पनाथ राय ने सारी संकीर्णताओ से दूर हटकर सृजन, रचना, निर्माण और विकास की राजनीति को भारतीय राजनीति में स्थापित करने का श्लाघनीय प्रयास किया। साहित्यिक और सांस्कृतिक अभिव्यंजनाओ के अनुस…
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*विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस*
28 जुलाई :- वर्तमान परिपेक्ष्य में कई प्रजाति के जीव जंतु एवं वनस्पति विलुप्त हो रहे हैं। विलुप्त होते जीव जंतु और वनस्पति की रक्षा का विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर संकल्प लेना ही इसका उद्देश्य है। जल, जंगल और जमीन, इन तीन तत्वों के बिना प्रकृति अधूरी है। विश्व में सबसे समृद्ध देश वही हुए हैं, जह…
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प्रकृति संरक्षण : मानव एवं प्रकृति एक दूसरे के पूरक, परस्पर समायोजन ही एकमात्र विकल्प : डा०गणेश
आज विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर विशेष- आज विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के अवसर पर अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य एवं सम्प्रति जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया उ० प्र० के शैक्षणिक निदेशक पर्यावरणविद् डा० गणेशकुमार पाठक ने एक भेंटवार्ता में बताया कि मानव ए…
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सम्पूर्ण विश्व में विश्व गुरु के नाम से विख्यात भारत में क्षीण होता गुरुओं का गुरूत्व : मनोज कुमार सिंह
एक माँ अपने बच्चे को कलेजे का टुकडा मानतीं हैं उसके ऊपर जान छिडकती हैं परन्तु वही बच्चा जब हद से ज्यादा शरारत करने लगता है तो वही माॅ अपने बच्चे को नालायक, निट्ठल्ला, निकम्मा और कुवंशी जैसे-शब्दों से कोसती है। यह सर्वविदित तथ्य है कि-आज भी उस माँ के कलेजे के टुकड़े को जिसको वह नालायक बनाती हैं उसे ल…
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जिस पर जीवन का हर खेल टिका है उसी ऑक्सीजन के साथ जमकर हो रहा है सियासी खेल : मनोज कुमार सिंह
भूवैज्ञानिकों के अनुसार आज से लगभग साढे चार अरब वर्ष पूर्व उत्पन्न और सूर्य से उत्तम दूरी पर स्थित पृथ्वी पर ही केवल जीवन पाया जाता है। सौरमण्डल के सभी ग्रहों में केवल पृथ्वी पर जीवन पाए जाने का सबसे बड़ा कारण समुचित और संतुलित मात्रा में ऑक्सीजन की उपलब्धता हैं। प्राचीन और अर्वाचीन वैज्ञानिकों के अ…
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हमें मानव का शरीर एकमात्र अपनी ‘आत्मा के विकास’ के लिए परमात्मा ने दिया है!
परमात्मा ने दो तरह की योनियाँ बनायी हैं - पहला पशु योनियाँ तथा दूसरा मानव योनि। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार 84 लाख पशु योनियों में अगिनत वर्षों तक अत्यन्त कष्टदायी तथा दुःखदायी जीवन बिताने के बाद मानव योनि में जन्म दयालु परमात्मा की कृपा से बड़े सौभाग्य से मिलता है। इस मानव योनि में ही मनुष्य अपनी …
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बौद्धिक वर्ग की निरंतर सिकुड़ती राजनीतिक और सामाजिक भूमिका : मनोज कुमार सिंह
विश्व में होने वाली विविध क्रांतिओं और समय-समय पर होने वाले सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन और सामाजिक सुधारों की सफलता में उस समाज के बौद्धिक वर्ग की अग्रणी भूमिका रही है। दुनिया में समय-समय पर होने वाले इन समस्त सामाजिक परिवर्तनों, सामाजिक सुधारों और सुप्रसिद्ध क्रांतिओ का कुशलता पूर्वक मार्गदर्शन ब…
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