दया, करूणा, परोपकार, प्यार, मुहब्बत, और भाईचारे के अफ़साने ही अजर और अमर रहते हैं : मनोज कुमार सिंह
तेरे आलीशान महलों का शौक, कभी-न कभी तो खंडहर ही होना है। तेरी अकड, तेरी पकड़, तेरा रुतबा, तेरा रसूख, तेरी हनक, और तेरा खौफ़, सिर्फ दिखावा, नुमाईश और तमाशा है, ऐ तेरा सिकंदर होने का गुरूर कभी न कभी जरूर एक दिन जमीं के अन्दर ही होना है। ऐ दरिया तू लाख उफनती हूई आ, हर हाल में तुझे समंदर ही होना है। दौलत…