दया, करूणा, परोपकार, प्यार, मुहब्बत, और भाईचारे के अफ़साने ही अजर और अमर रहते हैं : मनोज कुमार सिंह
तेरे आलीशान महलों का शौक, कभी-न कभी तो खंडहर ही होना है। तेरी अकड, तेरी पकड़, तेरा रुतबा, तेरा रसूख, तेरी हनक, और तेरा खौफ़, सिर्फ दिखावा, नुमाईश और तमाशा है, ऐ तेरा सिकंदर होने का गुरूर कभी न कभी जरूर एक दिन जमीं के अन्दर ही होना है। ऐ दरिया तू लाख उफनती हूई आ, हर हाल में तुझे समंदर ही होना है। दौलत…
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विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस
प्रति वर्ष 17 जून को विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस मनाया जाता है।  वर्ष 2020 की थीम Food.Feed.Fibre. -the links between consumption and land था अर्थात भोजन, चारे एवं रेशों के लिए उपभोग और भूमि के बीच अंतर्संबंधो को रेखांकित करना है। विश्व मरुस्थलीकरण दिवस के अवसर पर तीन मुख्य बातों के द्वार…
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चुनावी मौसम में रंग बदलती गिरगिटियाॅ प्रवृत्ति स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए घातक : मनोज कुमार सिंह
यह सर्वविदित है कि-विभिषण ने उच्चतम मानवीय मूल्यों का पालन करते हुए तथा उच्चकोटि की नैतिकता और सचरित्रता का परिचय देते हुए युगों-युगों के महानायक मर्यादा पुरुषोत्तम राम का साथ दिया था और अपने सहोदर अग्रज परन्तु अधर्मी रावण और उसकी लंका के विनाश के सारे उपाय बताऐ। परन्तु आज भी विभिषण को भारतीय जनमान…
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अपना अस्तित्व बचाने को जूझ रहा राष्ट्रीय वृक्ष बरगद : अभिनव पाठक, पर्यावरण स्वयंसेवक
धार्मिक महत्व और औषधीय गुणों से भरपूर राष्ट्रीय वृक्ष बरगद अपना अस्तित्व खो रहा है। बावजूद, इस पर न तो आमलोगों और न ही जिम्मेदारों का ध्यान है। प्रदेश में जुलाई महीने में वृहद वृक्षारोपण अभियान चलाया जाता है। इसमें शायद राष्ट्रीय वृक्ष बरगद पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता, जितना इसका महत्व है। बरगद के…
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अपनी अस्मिता को खोता जा रहा है राष्ट्रीय वृक्ष बरगद : डॉ0 गणेश पाठक
10 जून को वट सावित्री व्रत पर विशेष :-        वट वृक्ष, जिसे आम बोल-चाल की भाषा में बरगद कहा जाता है, एक विशेष धार्मिक, आध्यात्मिक एवं औषधीय वृक्ष है। यह एक विशाल वृक्ष होता है, किंतु इसका बीज अति  सूक्ष्म होता है। यह भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है। धार्मिक महत्व के अनुसार वट वृक्ष की छाल में विष्णु, ज…
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मौत ने ज़माने को ये समा दिखा डाला : परवेज़ अख्तर
कॅरोना ने ऑक्सीज़न ने अस्पतालों ने और सिस्टम ने तथा लाकडाउन ने वो समा बाँधा है कि मौत के मूँह में समा कर कोई "लाश" बन गया! किसी का इकलौता बेटा किसी का बाप कोई घर सम्हालने वाला शख्स मर गया पीछे जो छूट गया वो "ज़िंदा लाश" बन कर रह गया!  तैरती लाशों को देख कर भी अनदेखा करने वाला हर…
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यदि पृथ्वी को बचाना है तो पारिस्थितिकी तंत्र को बचाना होगा : डॉ0 गणेश पाठक
5 जून पर्यावरण दिवस पर विशेष :- पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के संरक्षण हेतु पूरे विश्व में 5 जून को प्रतिवर्ष 'पर्यावरण दिवस' मनाया जाता है, जिसके लिए प्रतिवर्ष कोई-कोई विशेष थीम रखी जाती है, जिसको केन्द्रित कर पूरे वर्ष पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस वर्ष की पर्यावरण…
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विश्व पर्यावरण दिवस--"केवल एक पृथ्वी"
पर्या वरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) यानी वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे  मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित क…
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पर्यावरण संरक्षण में भारतीय रेल का अप्रतिम योगदान
इस भागती दौड़ती जिंदगी में व्यस्त लोग अपनी आधुनिक जीवन शैली मे मशगूल थे तभी अचानक एक वैश्विक महामारी अपने पाँव पसारते हुए भारत मे भी दस्तक दी और सब कुछ थम सा गया। वातानुकूलित कमरों मे निश्चिंत बैठे लोगों के माथे पर पसीने की बुँदे टपकने लगी, एयर कन्डिशनर्स जो आक्सिजन का पर्याय माने जाने लगा था उसे छो…
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विश्व का प्रत्येक नागरिक पर्यावरण समस्या के समाधान हेतु यथा शक्ति योगदान दें
5 जून - विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष लेख :- (1) जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संघ की चेतावनी :- मार्च 2014 में संयुक्त राष्ट्र की एक वैज्ञानिक समिति के प्रमुख ने चेतावनी दी है कि अगर ग्रीनहाउस गैसों का प्रदूषण कम नहीं किया गया तो जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव बेकाबू हो सकता है। ग्रीनहाउस गैसे…
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भगवान बुद्ध की शिक्षायें मानव कल्याण के लिए हैं!
26 मई-बुद्ध पूर्णिमा पर विशेष लेख :- (1) बुद्ध जयन्ती वैशाख पूर्णिमा को मनायी जाती हैं :-   आज से 2500 वर्ष पूर्व निपट भौतिकता बढ़ जाने के कारण मानव के मन में हिंसा का वेग काफी बढ़ गया था। इस कारण से मानव का जीवन दुःखी होता चला जा रहा था, तब परमात्मा ने मनुष्यों पर दया करके और उन्हें अहिंसक विचार क…
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सम्पूर्ण जीव जगत के लिए घातक है जैव विविधता का नष्ट होना : अभिनव पाठक
22 मई को जैव विविधता दिवस पर विशेष :- बलिया। मानव जैसे-जैसे विकास करता गया, जैव विविधता पर उसकी निर्भरता बढ़ती गयी, कारण कि मानव अपनी भोगवादी प्रवृत्ति एवं विलासितापूर्ण जीवन की पूर्ति हेतु विकास का जो रास्ता चुना उसके चलते जैव विविधता निरन्तर समाप्त होती जा रही है। इस जैव विविधता के संरक्षण हेतु …
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पारिवारिक एकता से ही वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा साकार होगी!
(अन्तर्राष्ट्रीय परिवार दिवस 15 मई को विशेष लेख) ( 1) पारिवारिक एकता से ही वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा साकार होगी :- संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल एसेम्बली ने दिनांक 20 सितम्बर 1993 को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया है जिसमें सभी सदस्य देशों में प्रतिवर्ष 15 मई को ‘अन्तर्राष्ट्रीय परिवार दिवस’ के…
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