गोरखपुर 06 जुलाई, 2020: पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन यात्रियों को संरक्षित, सुरक्षित, आरामदेह एवं तीव्रगामी रेल परिवहन सुविधा प्रदान करने के लिये प्रतिबद्व है। इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अनेक प्रयास किये जा रहे है। रेल के मूलभूत ढ़ाॅचे को सुदृढ़ता प्रदान करना इनमें से एक अत्यन्त महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल रेल संचलन सुगम हो जाता है अपितु उन्नत संसाधन हो जाने से संरक्षा के स्तर में सुधार एवं आत्मनिर्भरता में भी वृद्वि होती है। पूर्वोत्तर रेलवे के तीनों मंडलों में रेल के मूलभूत ढ़ाॅचे को मजबूती प्रदान करने के लिये अनेक निर्माण परियोजनाओं पर कार्य योजनाबद्व तरीके से हो रहा है।
गोरखपुर एवं इसके आसपास के क्षेत्र में अनेक निर्माण परियोजनाओं को मूर्तरूप प्रदान करने का कार्य प्रगति पर है।
प्रमुख परियोजनायें में डोमिनगढ़-गोरखपुर-गोरखपुर कैंट-कुसम्ही के बीच तीसरी लाइन, गोरखपुर-नकहा जंगल रेल खंड का दोहरीकरण, गोरखपुर कैंट स्टेषन को सेटेलाइट टर्मिनल स्टेषन के रूप में विकसित किये जाने के अन्तर्गत स्टेषन का नवीनीकरण एवं 100 लोको की होमिंग क्षमता वाले ए.सी. इलेक्ट्रिक लोकोशेड, गोरखपुर का निर्माण कार्य सम्मिलित है।
कोविड-19 के कारण निर्माण कार्य बंद हो गये थे, उन्हें पुनः प्रारम्भ कर दिया गया है।
इसी क्रम में, गोरखपुर के आस-पास डोमिनगढ़-गोरखपुर-गोरखपुर कैंट-कुसम्ही के बीच तीसरी लाइन एवं गोरखपुर-नकहा जंगल रेल खंड के दोहरीकरण परियोजना के अन्तर्गत 40 प्रतिशत मिट्टी का कार्य पूरा कर लिया गया है। इसी प्रकार बड़े पुल का निर्माण हो चुका है तथा छोटे पुलों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। नकहा जंगल एवं कुसम्ही में स्टेशन प्लेटफार्म का कार्य तेजी से चल रहा है।
गोरखपुर कैंट स्टेषन को सेटेलाइट टर्मिनल स्टेशन के रूप में विकसित किये जाने के तहत स्टेशन के रिमाडलिंग के अन्तर्गत स्टेशन भवन का लगभग 55 प्रतिषत कार्य पूरा किया जा चुका है। प्लेटफार्म को ऊॅचा करने तथा इसके विस्तार का कार्य प्रगति पर है।
डोमिनगढ़-गोरखपुर-गोरखपुर कैंट-कुसम्ही के बीच तीसरी लाइन एवं गोरखपुर-नकहा जंगल रेल खंड का दोहरीकरण तथा गोरखपुर कैंट स्टेशन के सेटेलाइट टर्मिनल स्टेषन के रूप में विकसित हो जाने पर रेल संचलन सुगम हो जायेगा तथा गोरखपुर जं. स्टेशन पर यातायात के दबाब में कम आयेगी। इन कार्यों के पूर्ण होने से संरक्षा, समयपालन एवं गति में और अधिक सुधार हो सकेगा।
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